पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५४३

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२ पञ्चे] को १ पुस्तक। ५३५ ऊपर न गई क्योंकि उसने अपने पति से कहा कि जब लो बालक का दूध बढ़ाया न जाय मैं यहीं रहेगी और तब उसे ले जाऊंगी जिसने वुह परमेश्वर के आगे दिखाई देवे और सदा वहीं रहे ॥ २३। तब उस के पति एलकाना ने उसे कहा कि जो तुझे भला लगे से कर तू उस का दूध छड़ाने लो ठहरी रह केवल परमेश्वर अपने बच्चन को स्थिर करे से बुह स्त्री ठहरी रही और जब लो उस का दूध न छुड़ाया गया अपने बेटे को दूध पिलाया किया। २४ । और जब उस का दूध बढ़ाया गया तो उसे अपने साथ ले चली और तीन बैल और आधे मन से ऊपर पिसान और एक कुप्पा मदिरा अपने साथ लिया और उसे सैला में परमेश्वर के मंदिर में लाई और वालक छोटा था । २५ । तब उन्हों ने एक बैल को वलि किया और बालक को एलौ पास लाये ॥ २६ । और बोली कि हे मेरे प्रभु तेरे जोबन से मैं वही स्त्री हूं जिस ने तेरे पास परमेश्वर के आगे यहां खड़ी होके प्रार्थना किई थी। २७। मैं ने इस बालक के लिये प्रार्थना किई यो सो परमेश्वर ने मेरी बिनती जो मैं ने उसे किई थी ग्रहण किई॥ २८। इस लिये में ने इसे बिनती से पाके परमेश्वर को फेर दिया जब लां वह जीता है परमेश्वर का दिया रहे और उस ने वहां परमेश्वर को दंडवत किई । । जीर २ दूसरा पर्व पर हन्नः ने प्रार्थना करके कहा कि मेरा मन परमेश्वर से श्रानंद है परमेश्वर से मेरा मौंग बढ़ाया गया शत्रुन के साम्ने बोलने को मेरा मूह बन्द गया क्योंकि मैं तेरी मुक्ति में श्रानंद 'हं ॥ २। परमेश्वर के तुल्य कोई पवित्र नहीं क्योंकि तुझे छोड़ कोई नहीं कोई चटान हमारे ईश्वर के समान नहीं। ३। अति घमंड की बात मत कहो और अहंकार तुम्हारे मुंह से न निकले क्योंकि परमेश्वर ज्ञान का ईश्वर है और करणी उस आंची जाती हैं ४ । बलवंतों के धनुष टूट गये और ठोकर खाये इनों की कटि दृढ़ता से बंध गई। ५। वे जा टप्न घे उन्होंने अपने को बनो में लगाया है और जो भखे थे उन्हों ने उसे हाथ उठाया यहां लो कि बांझ सात जनो और जिस के बहुत बालक हैं सो दुर्बल