पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४९८

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UCO न्यायियों [८ पद वैमा ही करो और सचेत रहिया जब मैं छावनी के बाहर जाऊ तब जो कुछ में करूं सेो तुम भी कीजियो । । १८। जब मैं और मेरे संगी नरसिंगे फूकें तब तुम लोग भी सेना की हर एक छोर से नरसिंगा फूंकियो और बोलियो कि परमेश्वर के लिये और जिन जन के लिये ॥ १६। फिर जिदःजन और वे सो जन जो उस के माथ घे दो पहर को छावनी के बाहर आये और वहौं पहरे बैठाये थे और उन्हों ने नरसिंगे फूंके और उन घड़ों को जो उन के हाथों में थे तोड़ा॥ २०॥ और उन तीनों जथा ने नरसिंगे फूंके और घड़े तोड़े और दीपकों को अपने बायें हाथ में लिया और नरसिंगों को फूंकने के लिये अपने दहिने हाथों में और चिल्ला उठे कि ईश्वर की और जिदःमन की तलवार ॥ २१। और उन में से हर एक जन अपने स्थान पर सेना कि चारों और खड़ा था तब सारी सेना दौड़ी और चिलाई और भाग निकलौ। २२ । और उन तीनों सौयों ने नरसिंगे फूंके और परमेश्वर ने सारी सेना में हर एक की तलवार उस के संगो पर चलवाई और वे बैनसितः और सरीरः को और अबिलमहल: की ओर जा नजात के लग हैं भाग गये। २३। तब दूसराएलौ लोग नफ़ताली और यसर और समस्त मुनस्मौ से एकट्ठे होके निकले और मिट्यानियों का पीछा किया ॥ २४ । और जिदःजन ने सारे इ.फरायम पहाड़ में दून भेजे और कहा कि मिट्यानियां के विरोध में उतरो और उन के श्रागे पानियों को बैतबरः और घरदन ने रोको तब सारे इफरायमौ ने एकट्टे होके पानियों को बैतबर: और यरदन लो रोका।। २५ । और उन्हों ने मिट्यान के दो अध्यक्षों को ग़राब और जिअव को पकड़ा और गुराब को गुराव पहाड़ पर और जिअब को ज़िअब के कोल्हू पास मार डाला और मिट्यान का पीछा किया और गुराब और जिअब का सिर परदन के उस पार जिदःजन पास लाये। ८ आठवां पई। पर इफरायम के लोगों ने उसे कहा कि तू ने हम से यह क्यों किया कि जब तु मिट्यानियों से लड़ने गया तब हमें न बुलाया और उन्हों