पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४९७

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की पम्त का ! जिन्हों ने अपने हाथ अपने मूंह पास लाके चपड़ चपड़ पौया से लौन सा जन थे परंत बचे हुए लोग पानी पीने को घुटनों पर झुक गये ॥ ७॥ नब परमेश्वर ने जिद ऊन से कहा कि मैं उन लोन मा मनप्यों से जिन्हों ने चपड़ चपड़ पीया तो बचाऊंगा और मिदयानिया को तेरे हाथ में कर देऊंगा और समस्त लोग अपने स्थान को फिर जायें तब उन लोगों ने अपने भोजन और अपने नरसिंगे हाथों में लिये और उस ने सब दूसराएल को डेरों में भेजा और उन तीन सौ को रख छोड़ा और मिदयानियों की सेना उस के नीचे तराई में धी॥ । और ऐसा हुआ कि उसी रात परमेश्वर ने उसे कहा कि उठ और सेना में उतर जा क्योंकि मैं ने उन्हें तेरे वश में कर दिया। २० । परंतु यदि तू अकेला उतरने को डरता है तो अपने सेवक फराह के साथ सेना में उतर ।। ११ । और सुन वे क्या कहते हैं और पीछे से तेरे हाथ बली हेगे और नू सेना में उतर जाना से वह अपने सेवक फराह को साथ लेकर सेना के हथियारबंद को पालियों में उतर गया। १२। और मिट्यानी और अमालीको और पूर्वी बंश बहुताई से टिड्डी की नाई तराई में पड़े थे और उन के जंट समुद्र के तौर की बालू के समान अगणित थे॥ १३ ॥ और जब जिदान आया तो क्या देखता है कि एक जन अपने परोसी से अपना स्वप्न कहि रहा है कि देख मैं ने एक खप्न देखा कि जब की रोटो का एक फुलका मिट्यानी की सेना में लुढ़का और एक तंव में आया और उस तंबू को ऐसा मारा कि वह गिर गया और उलट दिया ऐसा कि वुह डेरा पड़ा रहा। १४ । नब उस के परोसी ने उत्तर देके कहा कि यह दूसराएल के पुरुष यूवास के बेटे जिद ऊन की तलवार को छोड़ और नहीं है ईश्वर ने मिदयान और मारी सेना उस के वश में कर दिया । १५। चौर ऐसा हुआ कि जिद अन ने यह खप्न और उस का अर्थ सुन के दंडवत किई और इसराएल की सेना के फिर श्ररके कहा कि रठा क्योंकि परमेश्वर ने मिद यानी सेना को तुम्हारे हाथ में से प दिया । १६। तब उस ने उन तीन से मनुष्यों को नीम जथा किया और उन मभों के हाथ में नरसिंगा पार छूछा घड़ा दिया और एक एक दीपक घड़े के भीतर रकवा ॥ १७॥ चौर उन्हें कहा कि मुझे देखा और FA.RS.] 62