पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४८३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पन्चे २२। और २७॥ और की पुस्तक । ४७५ संतान के साथ आज के दिन लो यरूसलम में बसने है। यूमुफ का घराना भी बैतऐल पर चढ़ गया और परमेश्रर उन के साथ था॥ २३। और यमुफ के घराने ने बैतऐल का भेद लेने को भेजा और उस नगर का नाम आगे लौज था। २४1 और भेदियों ने नगर से एक मनुष्य को बाहर आते देख के उस्मे कहा कि नगर का पैठ हमें बता और हम तुझ पर दया करेंगे। २५ । से जब उम्न ने उन्हें नगर का पैठ बताया उन्हां ने नगर को तलवार की धार से नाश किया परंतु उस मनुष्य को उस के मारे घराने समेत काड़ दिया ॥ २६ ॥ २६ । और बुह मनुष्य हित्तियों की भूमि में गया और वहां एक नगर बनाया और उम का नाम लौज रकडा जो अाज लो उम का नाम है। मनरशी के संतान ने भी बेनशान को और उस के गांवों को और नअनाक को और उस के गांवों को और द्वार के बामियों को और उम के गांवों को और इलिआम को और उस के गांवों के बासियों को और माजद्दा के और उस के गांवों के वासियों को न निकाल दिया परंतु कनानी उसी देश में वसा किये॥ २८। और यो जया कि जब दसराएल प्रबल हुए तब उन्हों ने कनानियों से कर लिया परंतु उन्हें सर्वथा निकाल न दिया॥ २६ । और इफरायन ने भी उन कनानियों को जो जजर में बसे थे न निकाला परंतु कनानी उन के साथ जज़र में वस्ते थे। ३.। जबुलून ने कितरून और नहलाल के बामियां को न निकाला परंतु कनानौ उन्हीं में रहे और करदायक हुए ! ३१ । यसर ने अक्की चौर सैदा और अहलाव और अक्रजोव और हिलवः और अफीक और रहूय के बामियों को दूर न किया॥ ३२। परंतु यसरी उन कनानियों में जो उस देश के बामो थे बसे क्योंकि उन्हों ने उन्हें दूर न किया । ३३ । नफताली ने वैत शम्श और वैनचनान के वासियों को दूर न किया परंतु बुह उन देश के बासौ कनानियां में रहा तथापि बैतशश और बैतअनात के बासौ उन के करदायक हुए। ३४॥ और मूरियों ने दान के संतान को पहाड़ में खेदा क्योंकि वे उन्हें तराई में उतरने न देने थे॥ ३५ । परंतु अभरी हरिस पहाड़ में ऐयलन में और शाल बीम में बसा किये तथापि यसफ के घराने का हाथ पवन हुआ ॥