पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४८०

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४७२ यहमूत्र [२४ पम्प ने यहसूअ से कहा कि कभी नहीं परंतु हम परमेश्वर हौ की सेवा करेंगे। २२। फिर यहूमून ने लोगों से कहा कि तुम आप ही अपने पर साक्षी हो कि सेवा के लिये तुम ने परमेश्वर को चुन लिया है वे थे।ले कि हम साक्षी हैं। २३ । सो अब तुम उपरी देवतों को जो तुम्हारे मध्य में हैं निकाल फको और अपने अपने नन को परमेशर इसराएल के ईार को चार झुकायो। २४ । तब लोगों ने यहसूथ से कहा कि हम परमेश्वर अपने ईगर की सेवा करेंगे और उस का शब्द मानेंगे। २५ । तब यहूसूत्र ने उस दिन नागों से बाचा बांधी और उन के लिये विधि और व्यवहार निकम में ठहराये। २६ । और यहसून ने ईश्वर की व्यवस्था की पस्तक में उन बातों को लिख रक्खा और एक बड़ा पत्थर लेके बलत के वृक्ष तले जा परमेश्वर की पवित्रता में था खड़ा किया ॥ २७। और यहूसूत्र ने सारे लोगों से कहा कि देखो यह पत्थर हमारा साक्षी होगा क्योंकि उस ने वे सब बातें जो परमेश्वर ने हमें कहीं सुनी हैं इस लिये यही तुम पर साक्षी होगा न हो कि तुम अपने ईश्वर से मुकर जाओ॥ २८ । फिर यहूसूअ ने हर एक जन को अपने अपने अधिकार की और विदा किया ॥ २६ । और ऐसा हुआ कि दून बानों के पीछे परमेश्वर का दास नून का बेटा यह एक सो दम बरस का होके मर गया। ३० । और उन्हों ने उस के अधिकार अर्थात् तिमनसिरह के सिवाने में जो जअस की पहाड़ी को उत्तर दिशा इफरायम पहाड़ में है उसे गाड़ा॥ ३१ । और दूसराएल यज्ञसूत्र के जीवन भर और प्राचीनों के जीवन भर जो यहा के पीछे जीये और परमेश्वर के सारे कार्यों को जो उस ने इसराएल के लिये किये जानते थे परमेश्वर की सेवा करते रहे। ३२ । और यमक की हड्डियों को जिन्हें इसराएल के संतान मिस्र से उठा लाये थ उन्होंने सिकम को उस भूमि में गाड़ा जिसे यत्रकूब ने सिकम के पिता हमूर के बेटों से सौ टुकड़े चांदी पर मोल लिया था सेो वुह भूमि यूसुफ के संतान की अधि- कार हुई । ३३। और हारून का बेटा इलिअजर भी मर गया और उन्हों ने उसे उस पहाड़ में जो उस के बेटे फिनिहास का था जो इप- रायम के पहाड़ में उसे दिया गया था गाड़ा।