पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४४४

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यहसूथ [पर्च में उस अरण्य में जहां उन का पीछा किया अई के मारे निवासियों को मार चुके और जब वे नव खड्ग की धार पर पड़ गये और खप गये तव सारे इसराएलो बई को फिरे और उसे खङ्ग को धार से मारा॥ २५ ॥ चौर यों हुआ कि जो उस दिन मारे गये पुरुष और रही पारह सहन धे अर्थात् अई के सब लोग। २६। क्योंकि यह ने भाले के बढ़ा रने से अपने हाथ को न बैंचा जब लो अई के सारे निवासियों को सर्वथा नाश न किया था॥ २७। परमेश्वर को बचन के ममान जो उसने यसूअ को अाज्ञा कि थी इसराएल ने उस नगर के केवल ढोर और लूट को श्राप ही लिया ! २८। और यहसूत्र ने अई को जला के सदा के लिये ढेर कर दिया से बुह याज लो उजाड़ है ॥ २९॥ और उस ने श्रई के राजा को फांसी देके मांझ ले पेड़ पर लटका रवखा और ज्याही सुर्थ अस्त हुया यह सूअ ने आज्ञा लिई कि उस की लाथ को पेड़ से उतार और नगर के फाटक के पेट में फेक देवे और उस पर पत्थरोका बड़ा ढेर कर से आज लो है। ३०। तब यहसूत्र ने अवाल के पहाड़ पर परमेश्वर दूसराएल के ईश्वर के लिये एक वेदी बनाई ॥ ३१ । जैसा परमेम्पर के सेवक ममा ने इसराएल के संतानेा से कहा था जैसा मूसा की व्यवस्था की पुस्तक में लिखा हुआ है कि ढाकों की एक वेदी जिस में टांकी न लगाई गई है। और उन्हों ने परमेश्वर के लिये उस पर होम को भेटें और कुशल के बलि चढ़ाये । ३२। और उन ने वहां उन पन्यरो पर उस व्यवस्था को खोदा जो मूसा ने दूसराएल के संतानों के आगे लिखी थी॥ ३३ । और समस्त इसराएली और उम के प्राचीन और अध्यक्ष और उन के न्यायो खावी याजकों के आगे जो परमेश्वर को साक्षी की मंजषा को उठाया करते थे मंजूषा के इधर उधर खड़े हुए और उसी रीति से परदेशी और जो उन में उत्पन्न हर घेछाध जरिजीम के पहाड़ पर और आधे बाल के पहाड़ पर जैमा कि परमेश्वर के सेवक मूसा ने पहिले कहा था कि वे इसराएल के संतानों को आशीष देव ॥ ३४ ॥ ने की पुस्तक के समस्त लिखें हर के समान चाशीष और साप को व्यवस्था के समस्त वचन को पड़ा ॥ ३५ । मूसा की समस्त भाज्ञा के समान एक और उस व्यवस्था