पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४२५

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३३ पब को पुस्तका ४१७ कहा कि में ने उसे न देखा और उम् ने अपने भाइयों को न माना न अपने बालकों को पहिचाना क्योंकि उन्हों ने तेरे बचन को माना और मेरी बाचा को धारण किया। १०। वे तेरे विचार यअकब को और नेरी व्यवस्था इसराएल को सिखायें वे तेरी नासिका के धागे धुप रकवें और होम के पूरे बलिदान तेरी वेदी पर धरें ॥ २१ । हे परमेश्वर उस की मपति पर आशीष दे और उस के हाघों के कामों को ग्राह्य कर और जो उस के विरोध में उठे और जो उसी र रक्खे उन को करि बेधडाल जिसमें वे फिर न उठे॥ १२। उस ने विभयमीन के विषय में कहा कि परमेश्वर का प्रिय उस के पास चैन से रहेगा उसे दिन भर पाड़ करेगा और वह उस के दोनों कांधों के बीच रहेगा॥ १३ । और उस ने यूसुफ के विषय में कहा कि उस की भूमि पर ईश्वर को आशेष होगौ खर्गको बहु मूल्य बस्तुन के लिये और बोस के कारण और गहिराव के कारण जो नीचे झुका है। १४। और सूर्य के निकाले हुए अच्छे फलों में से और चन्द्रमा की निकाली हुई अच्छी वस्तुन के कारण ॥ ९५ । प्राचीन पहाड़ों की श्रेष्ठ बसन के लिये दृढ़ टीलों की बहु मूल्य बस्तुन के कारण ॥ १६ । और पृथिवी को बहु मूल्य बस्तें और उस को भरपरी के कारण और उस को भलाई के लिये जो माड़ी में रहता था यमुफ के सिर पर उतरे और उस के मस्तक पर जो अपने भाइयों से अलग किया गया था । १७। उस का बिभव टम के बैल के पहिलैठे की नाई और उस के मौंग गैंडे के सौंग वुह उन्हीं से लोगों को प्रथियों के पिवाने लो रेलेगा और वे इफ़रायम के दस सहस और वे मुनस्सी के दस सहन ॥ १८। और उस ने जबलन के विषय में कहा कि हे जवुलन अपने बाहर जाने में आनंद हो और इशकार त् अपने तंबू में॥ १८ । वे लोगों को पहाड़ पर बुलावगे और वहां धर्म के बलिदान चढ़ावेंगे क्योंकि वे समुद्रों की अधिकाई को और भंडारों को जो चाल में छिपे हैं चूमेंगे ॥ २०॥ चार जद के विषय में कहा कि धन्य है बुह जो फैलाता है दुह सिंह के समान पड़ा रहता है और निर की चांदी को भुजा सहित फाड़ता है॥ २१। उस ने पहिला भाग छपमे लिये उहराया उस ने वहां व्यवस्थादायक के भाग को चुना [A. B.S.] उस जद को 53