पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४२१

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की पुस्तक ४२३ महिमा करो। ४ । घुह पहाड़ है उस का कार्य सिद्ध है क्योंकि उस के सव मार्ग न्याय के हैं वुह सञ्चा ईश्वर है और बुराई से रहित वुह प्राप्त और सच्चा है। ५॥ उन्हों ने श्राप को नष्ट किया वे उस के बालक नहीं वे अपने चिङ्ग हैं वे हठीलो और टेढ़ी पौढ़ी है ॥ ६। हे मूर्ख चार निवुनि लोगो क्या तुम परमेश्वर को यो पलटा देने हे। क्या वह नेरा पिता नहीं है जिस ने तुझे माल लिया क्या उस ने तुझ नहीं मिर्जा और तुझ स्थि र न किया॥ ७॥ अगले दिनों को चेन करो और पीढ़ी पर पीढ़ी के बरसों को सेाचा अपने पिता से पूछ र बुह तुझे वनावेगा और अपने पाचोनों से और वे तुझ से कहेंगे। 5 जन अति महान ने जाति- गणों के लिये अधिकार बांटा जब उस ने आदम के बेटों को अलग किया मराएच के संतानों की गिनती के समान उस ने लोगों का सिवाना उहराया। है। क्योंकि परमेश्वर का भाग उस के लोग हैं .यज कब उस के अधिकार की रस्मी है। १.। उम ने इसे उजाड़ देश और भयानक अरण्य में पाया उस ने उसे घेर लिया और उस ने उसे शिक्षा दिई उस ने अपनी अांख की पुतली की नाई उस की रक्षा किई ॥ ११। जैसा गिड्व अपने खाते को हिलाता है और अपने बच्चों पर फरफराता है और अपने पंखां को फैलाके उन्हें लेना है और अपने पंखों पर उन्हें उठाता है। १२ । वेसा हो केशल परमेश्वर ने उस की अगुवाई किई और उस के साथ कोई उपरी देव न घा। १३ । उस ने उसे एघिबी के ऊचे स्थानों पर बहाया जिसने वुह खेतों की बढ़ती खावे और उस ने उसे चटान में से मधु औरर चकमक के चटान में से तेल चुसाया ॥ १४ । और गाय के मखन और भेड़ के दूध और मेम्नां को चिकनाई और वसन देश के पाले हुए मेढ़ों और बकरों के गुती गोहूं की चिकनाई सहित तू ने दाख का निराला रस पीया॥ १५। परंतु यशूर न मोटा हुआ और लनिशाने लगा तू मोटा हुआ है और फैल गया है तू दंप गया है तब उस ने ईश्वर अपने परमेश्वर को छोड़ दिया और अपनो मक्ति के पहाड़ को तुच्छ जाना॥ १६। उन्हों ने उपरो देबतों के कारण उसे मल दिया और चन्हों ने उसे धिनिता से रिम दिलाया ॥ १७। उन्होंने पिशाचों के लिये बलिदान चढ़ाये जो ईश्वर न थे परंतु उन देवतों के लिये जिन को वे न