पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४१४

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विवाद [२९ पब औ २६ उन्तीसवां पत्र। भरमसा समस्त इसराएल कर बुला के उन्हें कहा जो कछ कि परमेश्वर ने तुम्हारी आखों के आगे मिस्र के देश में फिरजन और उम के समस्त सेवकों और उम के समस्त देश से किया तुम ने देखा है।। २। वे बड़ी बड़ी परीक्षा जिन्हें तेरौ अाखों ने देखा है वे लक्षण चार बड़े बड़े आश्चर्य ॥ ३ । तथापि परमेश्वर ने तुम्हें समझने का मन और देखने की आखें और मुन्ने के कान अाज खो न दिये। ४ । और मैं तुम्हें चान्नीम बरम बन में लिये फिरा तुम पर तुम्हारे कपड़े पुराने न हुए न तुम्हारे जूते तुम्हारे पायों में पुराने हुए ॥ ५। तुम ने रोटौ न खाई और तुम ने मदिरा अथवा मद्य न पिया जिसने तुम जाना कि मैं परमेश्वर तुम्हारा ईश्वर में है । और जब तुम इस स्थान में आये तब हसवून का राजा सैहन और बमन का राजा जज संग्राम के लिये तुम पर चढ़ आये और हम ने उन्हें मारा॥ ७। और हम ने उन का देश ले लिया और रूबौनियों और जहियों और मुनरमी की प्राची गोष्ठी को अधिकार में दिया ॥ ८ । मो तुम इस नियम की बातों का पालन करो और उन्हें मानों जिमत अपने सब कामों में भाग्यमान् हो। । आज के दिन तुम और तम्हारी गोष्ठियों के प्रधान और तुम्हारे प्राचीन और तुम्हारे करोड़े और समस्त इसराएल के लोग। १०। तुम्हारे बालक तुम्हारी पत्नियां और तम्हारे परदेशी जो तुम्हारौ छावनी में रहते हैं तुम्हारे लकड़हारे से लेके बनिहार लो परमेश्वर अपने ईश्वर के आगे खड़े हो ॥ ५१। जिसतें तू परमेश्वर अपने ईश्वर के उस नियम और किरिया में प्रवेश करे जिसे परमेश्वर तेरा ईश्वर तुझ से आज के दिन करता है। १२ । जिसतें बुह आज के दिन तुझे अपने लिये एक लोग स्थिर करे कि वुह तेरा ईश्वर होवे जैसा उस ने तुझे कहा और जैसा उस ने तेरे पितर अबिरहाम और इज़हाक यअकब से किरिया खाई है। १३ । से मैं तुम्हारे ही साथ केवन्न यह नियम और किरिया नहीं करता ॥ १४ । परंतु उम के साथ भी जो आज के दिन परमेश्वर हमारे ईश्वर के आगे