पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४१३

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! ४०५ २८ प] की पुस्तक और तेरे बंश की मरियों को अर्थात् बड़ी बड़ी मरियों का जो बहुत दिनताई रहेगी और बड़े बड़े रोगों को जो बहुत दिन ले रहेंगे आर्यित बनावेगा॥ ६० । और मिस्र के सारे रोग जिन से तू डरता था तुझ पर लायेगा और वे सब तुझ पर चिपकगे॥ ६१ । और हर एक रोग और हर एक मरी जो इस व्यवस्था को पुस्तक में नहीं लिखी है परमेश्वर तुझ पर पहुंचावेगा जब लो तू नाश न होवे ॥ ६२ । और जैसा कि तुम लोग खर्ग के तारों की नाई थे गिनती में थोड़े से रह जायोगे इस कारण कि तू ने परमेश्वर अपने ईश्वर के शब्द को न माना। ६३ । और ऐसा होगा कि जिस रीति से परमेश्वर ने 'तुम पर आनंद होके तुम्हारे साथ भलाई करके तुम्हें बढ़ाया उसी रीति से परमेश्वर तुम्हें नाश करके मिटा देने में आनंदित होगा और तू उस देश से उखाड़ा जायगा जिस का अधिकारी तू होने जाना है॥ ६४। और परमेश्वर तुझ समस्त जातियों में एथिवी के इस खूट से उस खूट लो छिन्न भिन्न करेगा और वहां तू और देवतों को जा काठ और पत्थर हैं जिसे तू और तेरे पितर नहीं जानते थे पूजा करेगा। ६५ । और उन जातिगण में तुभ को चैन न मिलेगा और न तेरे पायों के तलवों को विश्राम मिलेगा परंतु परमेश्वर वहां तुझे कंपित मन और धुंधली आंखें और मन की उदासी देगा॥ ६६। और तेरा जोवन तेरे आगे दुविधा में टंगा रहेगा और तू रात दिन डरता रहेगा और तेरे जीवन का भरोसा न रहेगा॥ ६॥ अपने मन के डर से जिस्म तू डरेगा और उन वस्तुन से जिन्हें तेरी अाखें देखेंगौ बिहान को तू कहेगा कि हाय कब मांझ होगी और सांझ को कि हाय कब बिहान होगा। ६८। और परमेश्वर तुझे उस मार्ग से जिम के विषय में मैं ने तुझे कहा कि तू उसे फिर न देखेगा तुझे जहांजां में मिस्र को फेर लावेगा और तुम वहां दास और दासियों की नाई अपने बैंरियों के हाथ बचे जागोगे और काई मोल न लेगा॥ ६८। ये उस नियम की बातें हैं जो परमेश्वर ने मूमा को आज्ञा किई कि मोअब को भूमि में इसराएल के संतानों से करे उम नियम को छोड़ जो उम ने उन से हरिव में किया थ ।