पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३९९

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२२ पब्बे की पुस्तक। १३। यदि कोई पत्री करे और उसे ग्रहण करे और उसे घिन करे॥ १४। और उस पर कलंक लगाने और कहे कि मैं ने इस स्टी से व्याह किया और जब मैं उस पास गया तब मैं ने उसे कुमारी न पाया ।। २५। तब उस कन्या के माता पिता उम के कुमारीपन का चिन्ह ले के उस नगर के फाटक पर प्राचीनों के आगे लावें । १६ । और उस लडकी का पिता प्राचीनों से कहे कि मैं ने अपनी पुत्री इम पुरुष को ब्याह दिई है अब यह उस्मे चिन करता है॥ १७। और देखा वुह उम पर कलंक को बात लगाता है कि मैं ने तेरी पुत्री को कुमारौ न पाया तथापि ये मेरी पुत्री को कुमारीपन के चिन्ह हैं और वुह कपड़ा नगर के प्राचीनो के आगे फैलावे॥ १८। तब प्राचौन उम पुरुष को पकड़ के २६ । और वे उस्से से टुकड़ा चांदो डांड लेवें और लड़की के पिता को दे दूम लिये कि उन ने इमराएन को एक कुमारी पर कलंक लगाया और र वुह उम की पत्नी बनी रहेगी वह जोवन भर उसे त्याग न करे। २०। परंतु यदि यह बात ठीक ठहरे और लड़की को कुमारीपन का चिन्ह न पाया जाय । २१। तब वह उस लड़की का उम के पिता के घर के द्वार पर निकाल लावे और उस नगर के लोग उभ पर पथरवाह करके मार डालें क्योंकि उस ने अपने पिता के घर में छिनाला करके इसराएल में मूर्खना किई इस रीति से तू बुराई को अपने में से दूर करना। २२ । यदि कोई पुरुष विवाहिता स्त्री से पकड़ा जाय तब वे दोनों व्यभिचारी पुरुष और स्त्री मार डाले जावं इमरीनि से तु अपने में से बुराई को दूर करना ॥ २३ । यदि कुमारी लड़की किसी से बचनदन होने और कोई दूसरा पुरुष उस्मे कुकर्म करे। २४ । तब तुम उन दानों को उम नगर के फारक पर निकाल लाया और उन पर पथरवाह करके उन दोनों को मार डालो कन्या को इस लिये कि वह नगर में होते हुए न चिलाई और पुरुष को इम कारण कि उम ने अपने परोसी को पन्नी को पति लिई इस रीति से त बुराई को अपने में से दूर करना । २५ । परंतु यदि कोई पुरुष किसी बचनदन कन्या को खेत में पाये और पुरुष बरबस उससे कुकम्मै करे तो केवन्न परुष जिम ने यह कम्भ किया