पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३९४

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३८६ बिबाद [२० पब तुझ पर होय ॥ ११ । परंतु यदि कोई जन जो अपने परोसी से बैर रखता हो और उम की घात में लगा हो और उस के विरोध में उठके उसे ऐमा मारे कि बुद्द मर जाय और इन में से एक नगर में भाग जाय । १२! तो उस के नगर के प्राचीन भेज के उसे वहां से मगांव और लोहू के प्रतिफलदाता के हाथ में मैंप देखें कि बह घात किया जाय॥ १३॥ तेरी आंख उस पर दया न करे परंसुन निर्देष लोह के पाप को इमराएल से यों दूर करना तेरा भला हो । १४। अपने परोसौ के सिवाने को मत हटा कि उसे अगि ने लोगों ने तेरे अधिकार में रहा है। उस देश में जो परमेश्वर नेरा ईश्वर तेरे अधिकार और वश में कर देता है अपने परोमी के सिबाने को मत हटा जिसे अमिले लोगों ने मेरे अधिकार में रकदा है। १५। किसी मन्थ्य के अपराध और पाप पर कोई पाप क्यों न हो एक माक्षी ठीक नहीं है परंतुदो अथवा तीन साक्षियों के मुंह से हर एक बात ठहराई जायगौ। १६ । यदि कोई झटा साहो उठ के किसी मनुष्य पर साही वे ॥ १७। तो वे देशनों जिन में विराट् है परमेश्वर के लागे याजकों और न्यायियों के सन्नख जो इन दिनों में हां खड़किये जायें। १८। और न्यायी यत्र से विचार करें यदि वह माझी भठा ठहरे और उस ने अपने भाई पर भठौ माही दिई हो। १६ । तब तुम उसो ऐसा करना जो उम ने चाहा था कि अपने भाई से करे इस रोति से बराई को अपने में से दूर करना ॥ २० । अरु और जा हैं सुनके डरगे और आगे को तुम्भ एसौ बुराई फिर न करेंगे। २१ । और तेरी आंख दया न करे कि प्राण की मनौ प्राण प्रांख की संती अांख दांत की सती दांन हाथ कीमती हाथ पांव की मंती पांव होगा। २०बीसवां पढ़। बन लडाई के लिये अपने वैरियों पर चढ़ जाय और देखे कि उन के घोड़े और गाड़ियां और लोग तुझ से बहुत हैं तो त उन से मत डर क्यो।क परमेश्वर तेरा ईश्वर जो तुम मिस्र देश से निकाल लाया तेरे साथ है। २। और यों होगा कि जब तू संग्राम के निकट पहुंच तो याजक धागे होके लोगों को कहे। ३। और उन से बाले