पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३८७

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को पुस्तक। १३। और १५ पर्च] तेरे सन्मुख और अपने कंगाल और अपने दरिद्र के लिये जा रे देश में है अपना हाथ खालियो। १२। यदि तेरा इबरानी भाई परुष हो अथवा स्त्री तेरे हाय बेचा जाय और छः बरस ले तेरी सेवा करे तब मातवे बरम सत से उसे जाने दीजियो । जब तू उसे अपने पास से जाने देवे तो उसे कूके हाथ मत जाने दौजिये ॥ १४। अपनी झंड और खत्ते और कोल्हू में से उस बढ़ती में से जो परमेश्वर तेरे ईश्वर ने तुझे दिई है उसे मन खोल के दौजियो। १५ । और स्मरण कौजिया कि मिस्र देश में नू बंधुश्रा था और परमेश्वर नेरे ईश्वर ने तुझे कुड़ या इस लिये श्राज मैं तुझे यह अाज्ञा करताई। और यदि वुह तुझे कहे कि मैं तुझ पास से न जाऊंगा इस कारण कि वुह तुझा से और तेरे घर से प्रोति रखता है क्योंकि बुह तेरे संग कुशल से है ॥ १७॥ तो तू एक मुतारी ले के अपने द्वार पर उस का कान छदियो जसतं वुह सदा को तेरा सेवक हो और अपनी दासी से भी तू एसा ही करियो। ५८। और जब तू उसे छोड़ देवे तो तुझे कठिन न समुझ पड़े क्योंकि उस ने दो बनिहारों के तुल्य छः बरस ले तेरौ सेवा किई सेो परमेश्वर नेरा ईश्वर तेरे हर एक कार्य में तुझे आशीष देगा। १९ । अपने ढोर के और अपने झुद्ध के सारे पहिलोठे नर परमेश्वर अपने ईश्वर के लिये पवित्र करिया त अपने वैली के पहिलाठी से कुछ कार्य मत लीजियो अपनी भेड़ के पहिलाटा को मत कतरना॥ २० । परमेश्वर अपने ईश्वर के अागे बरस बरस उस स्थान में जा परमेश्वर चुनेगा अपने घराने सहित खाइयो । २९ । परतु यदि उस में कोई खाट हावे लंगड़ा अथवा अंधा अथवा कोई भारी खोट हावे तो उसे परमेश्वर अपने ईश्वर के लिये बलिदान मत करियो। २२। जैसे हरिन और वारहसौंगा तुम उसे अपने द्वारों पर खाइयो पवित्र हो अथवा अपवित्र दोनों समान । २३ । केवल उस का लोहू मत खाइयो लू उसे पानी की नाई भूमि पर टाल दौजियो।