पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३७१

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को पुस्तक ८ पब्ने] भाग मे जला देना त उन पर के रूपे सोने का लाभ न करना और उसे अपने लिये मत लेना न हो कि तू उन में बझजाय क्योंकि परमेश्वर तेरे ईश्वर के आग बुह धिनित है ॥ २६ । और तू काई धिनित अपने घर में मत लाइयो न हो किन उस की नाई सापित हो जाय तू उन से सर्वथा घिन कौजिया और उसे सर्थ या तुच्छ जानिया क्योकि वुह खापित वस्त है। ८ आरव प। -मस्त अाज्ञा को जो आज के दिन मैं तुझे देना हं मानियो और उन्हें पालन कौजिया जिमत तुम जो और बढ़ जाओ और उस देश में जाओ जिन के विषय में परमेश्वर ने तुम्हारे पितरों से किरिया खाई है अधिकारी हो ॥ २। और उस समस्त मार्गको सारण करियो जिस में परमेश्वर तेरा ईश्वर बन में इन चालीस बरम से तुझे लिये फिरा जिसतं तुझे दौन करे और तुझे परखे और तेरे मन की बात जांचे कि तू उस की आनाओं को पालन करेगा कि नहीं ॥ ३ । और उस ने तुझे दौन किया और तुझे भूखा रखा और वुह मन्न जिसे तू जानता न था और न तेरे पितर जानते थे तुभ खिलाया जिसने तुझे सिखावे कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जौता रहता परंतु हर एक बात से जो परमेश्वर के मुंह से निकलती है जौता रहता है। ४। चालोस बरम लेां तेरे कपड़े तुझ पर पुराने न हुए और तेरे पांव न सूजे ॥ ५ : तू अपने मन में सेचिया कि जिम रीति से मनुष्य अपने बेटे को ताड़ना करता है परमेश्वर तेरा ईश्वर तुझे ताड़ता है। ६ । सेा त परमेश्वर अपने ईश्वर की आज्ञायों को पालन कर कि उस के मागी पर चल और उस डर ॥ क्योंकि परमेश्रर तेरा ईश्वर तझे एक उत्तम भूमि में पहुंचाता है जहां पानी के नाले और सोने और झोल तराई और पहाड़ी से बहती है। ८। गेहूं और जब और दाख और गुज़र और अनार का और जलपाई का पेड़ और मधु का देश ॥ ६ । वुह देश जहां तू विन महंगी से रोटी खायगा जहां तेरे लिये किसी बात की घटती न होगी जिम के पत्थर लोहे हैं और पहाड़ों से तू ताबा खादे॥ १.। जब तु