पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३४५

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की पुस्तक । ४७। और ३३ पच] बरम का था जब बुह हर पर्वत पर मर गया । ४० । और अराद राजा कनबानो ने जा कनान देश की दक्षिण गोर रहता था सुना कि इमराएल क संतान प्रा पहुंच ॥ ४१। और हर पर्वत से यात्रा करके जलमनः में डरा किया ॥ ४२। और जलमनः से चल के फोन में डेरा किया ॥ ४३। और फूनान से चल के त्रैवात में डंरा किया। ४४ । और ऐबात से चनक ए ये उलवारीम में जो मोअब का सिवाना है डेरा किया। ४५। और ऐयौम से चलके देबूनजद्द में डेरा किया ॥ और देवनजह से चलके अनमूनदबलतैमः में डेरा किया। अत्तमनदबलतमः से यात्रा करके अबरीम पर्वतों पर नवू के आगे डेरा किया। ४८। और अबरीम पर्वतों से चलक मोअब के चौगानों में यरदन के तौर पर जा अरोह के लग है डेरा किया। ४ । और यरदन के तीर बैतुलयसीमान से यात्रा करके अबीलसन्तीन से होके मोअद के चौगानों में डेरा किया। ५। और परमेश्वर मेअिब के चौगानों में अबौलसन्तौन के तौर अरीह के लग म सा से कहके बाला॥ ५२ । कि दूसराएल के संतानों को श्राज्ञा कर और कह कि जब तुम घरदन से पार होक कनान के देश में पहुंचा ॥ ५२ । तब तुम उन सब का जो उस देश के बासी हैं अपने सन्मुख से दूर करो उन को मारी प्रतिमा को नाश करो और उन को ढालौ हुई मूर्तियां को नष्ट करो और उन के सब ऊंचे स्थानों को दा देओ॥ ५३। और उन्हें दे श से विदेश करके उम में वास करो क्यांकि मैं ने बुह देश तुम्हें तुम्हारे - अधिकार के लिये दिया है। ५४। और तुम चिट्ठौ डाल के उस देश को आपस में अपने घराने के समान बांट लेयो बहुतों को बहुत अधिकार देखो और थोड़ों को थोड़ा हर एक का उसी में स्थान होगा जहां उस की चिट्ठी पड़े अपने पितरों की गलियों के समान तुम अधिकार लेग्रेर । ५५ । परंतु यदि तुम उस देश के बामियां को अपने प्रागे से दूर न करोगे तो यूं होगा कि जिन्हें तुम रहने दोगे वे तुम्हारी प्रांखों में काटे और तुम्हारे पांजरों में काल होंगे और उस देश में जहां हम बसोग तुम्हें मतावगे॥ ५६ । परंतु अंत को यह होगा कि जा कुछ मैं उन से किया चाहता हूं से तुम से करूंगा। A. B. S.) 43