पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३३७

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३१ पर्व की पस्तक । सुन के चुप हो रहे और उसे न राके तो उस की मनोनियां ठहरगी और उस की हर एक बाचा जिस्मे उस ने अपने प्राण को वांधा ठहरेगी। १२। परंतु यदि सुनके उसो दिन उस का पति उसे स्था करे तो जा कुछ मनौतियां और अपने माण के बंधन के विषय में उस के मुंह से निकला से न ठहरेगी उस के पति ने उन्हें था किथा परमेश्वर उसे क्षमा करेगा॥ १३.। सब मनातियां और किरिया जिसो उस ने अपने प्राण को दुःख देने के लिये बांधा उस का पति च हे तो उसे ठहराने और चाहे मिटावे ॥ १४ । परंतु यदि उस का पति सुन के प्रतिदिन चुप रहे तो उस ने उस की समस्त मनौतियों और बाचों को जा उस पर है स्थिर किया क्योंकि सुन के उस ने अपने चुप रहने से उन्हें स्थिर किया॥ १५ ॥ परंतु यदि उम ने मुन लिया और उस के पीछ उसे वृथा किया तो बुद्द उस का पाप भागेगा। १६ । पति और उम की पत्नी के मध्य में और पिता पुत्री के मध्य में जब पुत्री लड़काई के समय में पिता के घर होवे ये विधि जो परमेश्वर ने मूसा को आना किई ॥ ३१ एकतीसा पढ़। फर परमेश्वर मूसा से कह के बोला ॥ २। कि दूसराएल के संतानों का पलटा मिदयानियों से ले इस के पीछे तू अपने लोगों में मिल आयगा ॥ ३। तब मसा ने लोगों से कहा कि आपुस में कितनों को संग्राम के लिये लैस करो और मिट्यानियों का सामना करो जिसतं परमेश्वर का पला मिदयानियों से लेना। ४। दूसराएल की समस्त मेष्ठियां में से हर एक गोष्ठौ से एक एक महत्र संग्राम करने को भेजा। दूसराएल के सहसा में से हर गोष्ठी पीछे एक महस बारह महर हथियार बंध युट्स के लिये से।पे गये ॥ ६। तब मूसा ने उन्हें इलिअजर याजक के बेटे फौनिहास के माघ करके लड़ाई पर भेजा और पवित्र पात्र और फूकने के नरसिंगे उस के हाथ में थे । ७। जैसो परमेश्वर ने मूमा को श्राज्ञा किई थी उन्हो ने मिट्यानियों से युद्ध किया और मारे पुरुषों को मार डाला॥ ८। और उन्हेंा ने उन जूझ हुयों से अधिक मियान के राजा श्रवो और रकम चोर सूर और और [A. B. S.) फिर ५। से हर रबच को 42