पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३३५

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२६ पल्य] की पुस्तक । और मेंदा और मेनों के लिय उन की गिनती के और रीति के भमान हो । २५1 नित्य के हेम की भेट के और उस के भोजन की भेट के और उम के पीने की भट के अधिक पाप को भेंट के लिये बकरी का एक मेन्ना होवे । २६ । और पांचवें दिन नव बछड़े दो मेंढ़े पहिले बरस के चौदह निवार मेम्ने ॥ २७॥ और उन के भोजन को भेट और उन के पौने की भेंट बछड़ा और मेंदा और मेन्ना के लिये उन की गिनती के और रीति के समान होय ॥ २८। नित्य के हेम की भेट और उम के भोजन की भेंट के और उस के पीने कौ भट के अधिक पाप को भंट के लिये एक बकरी होवे । छठवें दिन आठ बछड़ दो मेंढ़े पहिले बरस के चैदह मिखेट मेन्न । ३.1 और उन के भाजन को भेट और उन के पीने को भेट पकड़ा और मेंढां और मेम्नां के लिये उन को गिनती के और रीति के समान है। वे ॥ ३१ । नित्य के होम की भट के गैर उस के भोजन की भेंट के और उस के पोने की भेट के अधिक पाप कोमेंट के लिये एक बकरो होवे । ३२। और सातवें दिन सात बछड़े दा मेंढ़े पहिले बरस के चौदह निष्खाट मेन्ने ॥ ३३ । और उन के भाजन को भट और उन के पीने को भेट बछडा और मेंहां और मेम्नां के लिये उन को गिनती के और रौति के ममान है।। ३४ । नित्य के होम की भेट के और उस के भोजन को भटके और उम के पीने को भट के अधिक पाय को भेट के लिये एक बकरी हेाधे ॥ ३५ । आठवें दिन तुम्हारी पवित्र सभा होगी सुम उस दिन सेवा का कोई कार्य न कौजिया। ३६। फिर तुम एक बड़ा एक मेंढा पहिले वरम् के सात निखार मेन्ने होम की भट के कारण परमेश्वर के मुगंध के लिये आग से बनाई हुई भेट चढ़ाइयो । ३७। और उन के भाजन को भेर और उन के पौने को भेंट बछड़ों और मेंदी र मेने के लिये उन की गिनती के और रीति के ममान होवे ॥ ३८। नित्य के होम की भेंट के और उस के भोजन कीट के और उन के पीने की भेट के अधिक पाप की भेट के लिये एक बकरी होवे ॥ ३८। अपनो मीनियां के और अपनी बाकिन भेटा के घर अपने होम की भेंटांके और भोजन को भेटी के और पीने की भरों के