पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२४१

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१८ प] ८। अपने की पुस्तक । २२३ बुह उन से जौ घेगा मैं परमेश्वर हं॥ ६ । उन का नंगापन उधारने के लिये तुम्म से कोई अपने कुटुम्ब के पास न जाय मैं परमेश्वर हं॥ ७॥ अपने पिता का नंगापन अथवा अपनी माता का नंगापन मत उधार क्योंकि वुह तेरी माता है तू उस का नंगापन मन उधार ॥ पिता की पत्नी का नंगापन मत उघार वुह तेरे पिता का नंगापन है। ह। अपनी बहिन का नंगापन अपने पिता की बेटी का अथवा अपनी माता को बेटी का जो घर में अथवा बाहर उत्पन्न हुई हो नंगापन मत उधार । १. । अपने पुत्र की बेटी का अथवा अपनी बेटी का नंगापन मत उधार क्योंकि उन का नंगापन तेरा ही है। १११ तेरे पिता की पत्नी की बेटी जो तेरे पिता की जन्मौ है नेरी बहिन है तू उस का नंगापन मत उघार ॥ १२। अपने पिता की बहिन का नंगापन मत उघार बुह तेरे पिता की समोपी कुटुम्म है। १३। अपनी माता की बहिन का नंगापन मत उधार क्यांकि वुह तेरी मरता की सनीपी कुटुम्न ॥ १४ । अपने पिता के भाई का नंगापन मत उघार और उस की पत्नी पास मत जा वुह तेरी चाची है। १५ । अपनी बह का नंगापन मत उघार वह तेरे बेटे की पत्नी है उस का नंगापन मत १६। अपने भाई को पत्नी का नंगापन मत उवार वह तेरे भाई का नंगापन है॥ १७॥ किसी स्त्री का और उनकी बेटो का नंगापन मत उघार उस के बटे की बेटी का और उस की बेरी का नंगापन मन उधार क्याकि बुह उस की समीपी कुटुम्च है यह बड़ी दुष्टता है। १८। और तू किसी स्त्री को खिजाने के लिये उस के जीने जी उस की बहिन ममेत मन ले जिसने उस का नंगापन उघारे। २६। और जब लो स्त्री अपवित्रता के लिये अलग किई गई हो उस का नंगापन उधारने के लिये उस के पास मत जा॥ २०॥ और अपने परोमी की पत्नी के संग कुकर्म मत कर जिमने अाप को उससे अपवित्र करे। २१ । अपने पुत्रों में से मानक को मन चढ़ा और अपने परमेम्बर के नाम को अनरीति से मत ले में परमेश्वर हं॥ २२ । तू पुरुष गमन मत कर बुह चिनिन है। २३ । पशु मामी होके आप को अशुद्ध मत कर और कोई स्त्री पशु गामिनी न हो यह गड़बड़ है ॥ २४ । [ (A. 15. S. उधार। 30