पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२३५

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१५ पई की पुस्तक। २२७ होय तो पानी से धाया जाय ॥ १३ । और जब प्रमेही चगा हो जाय तब बुह अपने पवित्र होने के लिये सात दिन गिने नब अपने कपडे धोवे और अपना शरीर बहते पानी से घोचे तब वुह पवित्र होगा। १४। और आठवें दिन दो पिण्डफी अथवा कपात के दो बच्चे लेके परमेपर के आगे मंडली के संघ के द्वार पर आवे और उन्हें याजक को मैं।पे ॥ १५ । याजक उन्हें चढ़ावे एक पाप को मेंट के लिये और दूसरी होम की भेंट के लिये और याजक उस प्रमेही के कारण परमेम्बर के भागे मायश्चित्त करे। १६ । और यदि किमी मनुष्य से रात को बीर्य जाय तब बुह अपना समस्त शरीर पानी से धोने और सांझ लो अपवित्र रहेगा। १७। और जिम कपड़े अथवा चमड़े पर रतिका बीर्य पड़े सो पानी से धाया जाय और सांझ लो अपवित्र रहेगा॥ १८। और म्दी भी जिम्मे पुरुष रति करे दोनों पानी से स्नान करें और सांझ ले अपवित्र रहेंगे। १६ । और यदि स्त्री रजखना हो तो बुह सात दिन अलग किई जाय जो कोई उसे छूयेगा से सांस ले अपवित्र रहेगा। २.। और सव बस्ते जिस पर बुह अपने अलग होने के दिन में लेटे अपवित्र हांगी और हर एक वस्तु जिस पर वुह बैंठ से अपवित्र होगी। २१ । और जो कोई उम के बिछाने को कूबे से अपने कपड़ धावे और पानी से स्नान करे और सांझ लो पवित्र रहेगर ॥ २२ । और जो कोई किसो बस्तु को छूवे जिस पर बुह बैठी थी से अपने कपड़े धावे और पानी से स्नान करे और मांझ ले अपवित्र रहेगा॥ २३॥ और यदि कोई वस्तु उस के विकानों पर अथवा किमी पर हो जिस पर वुह बैठती है और उस समय कोई उम बस्तु को वे तो बुह मांझ लो अपवित्र रहेगा॥ २४ । और यदि पुरुष उम के साथ लेटे और बुह रजखला में है।य तो बुह सात दिन लो अपवित्र रहेगा और हर एक विकाना जिस पर वह पुरुष लेटता है सेो अपवित्र होगा॥ २५ । और यदि स्त्रौ का रजोधर्म उस के ठहराये हुए दिनों से अधिक होवे अथवा यदि उम के अलग होने के ममय से अधिक बहे तो उस की अपवित्रता के बहने से सब दिन उस के अलग होने के दिनों के समान हो। क्योंकि बुह अपवित्र है ।। २६ । और उम के बहने के मब दिनों में हर एक चिकाना