पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२१८

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जैव्यव्यवस्था लिये दिया ॥ ३५ । हारून और उस के बटों के अभिषेक का जिस दिन में वुह उन्हें आगे धरे कि याजक के पद में परमेश्वर की सेवा करे परमेश्वर के लिये आग की भटों में का भाग होगा ॥ ३६ । उसे परमेश्वर ने इसराएल के संतान को जिस दिन में उस ने उन्हें अभिषक किया उन्हें देने को आज्ञा किई कि उन की पीढ़ियों में सनातन के लिये बिधि होवे । ३७। हाम की भेंट और भोजन को भट और पाप को भेट और अपराध की भेंट और स्थापित करने की भेर और कुशल की भर के बलिदान की यह व्यवस्था ३८। जिम दिन उस ने दूसराएल के संतानों का आज्ञा किई थी कि परमेशर के आगे सीमा के बन में अपना नैवद्य चढ़ा, जिसे परमेश्वर ने मीना पर्वत पर मसा को अाज्ञा किई थी॥ 11 ८ आठवां पन्ने । फिर परमेश्वर मसा से कह के बोला ॥ २। कि हारून और उस के साथ उस के बटों को और बल को और अभिषक का तेल और पाप की भेंट का एक बैल और दो मेढ़ और एक टाकरी असमौरी रोटी ले ॥ ३ । और तू सारी मंडली को मंडली के तंबू के द्वार पर एकट्टा कर ॥ ४। से जैसा कि परमेश्वर ने उसे आजा किई थी मुमा मे वैसा ही किया और सारी मंडली मंडली के तंव के द्वार पर एकट्ठी हुई ॥ ५। तब ममा ने मंडली से कहा कि यह बुह बात है जो परमेश्वर ने पालन करने को चाज्ञा किई है। ६। फिर ममा हारून को और उस के बेटी को आगे लाया और उन्हें पानी से नहलाया। ७। और उस पर कुरती पहिमाई और उस की कटि में पटुका लपेटा और उसे बागा पहिनाया और उस पर एफोद रकवा और एफोर के अनोखे पटु के से उस की कटि बांधी और उरो उस पर लपेटा॥ ८। और उम पर चपरास रक्खी और उसी चपराम पर यरीम और तमीम जड़े ॥ ६। और उस के सिर पर मुकुट रक्खा और मुकुट पर चौर ललाट की और सेने का पत्तर पवित्र मुकुट पर लगाया जैसा कि परमेश्वर ने मूमा को त्राज्ञा किई थी॥ १.। और मूमा ने अभिनेक का तेल लिया और तंत्र को और उस के समस्त पानां को अभिषित करके पवित्र किया और उस में से कुछ बेदी पर सात