पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२१७

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७ प.] की पतक । परमेश्वर के कुशल की भट के बलिदान का मांस खावे साई माणो अपने लोमां में से काट डाला जायगा। २१ । और अधिक जा माणौ किमी अशुद्र बस्त को छय चाहे मनुष्य का अथवा पशु का अथवा किसी घिनिन व जु को छ चे और परमेश्वर के कुशल की भेट के बलिदान से मांस खावे वहीं माणी अपने लोगों में से काटा जायगा। २२ । फिर परमेश्वर मसा से कहके बोला ।। २३ । कि दूसराएल के मंतानों से कह कि बैल और भेड़ और बकरी को कोई चिकनाई न खावे॥ २४। और उम लोथ की चिकनाई जो आप से श्राप मर गया हो अथवा उस की चिकनाई जा से फाड़ा गया हो और किसी कार्य में उठाया जाय परंतु उम में से किसी भांति से मत खाइयो। २५ । क्वांकि जो मनुष्य की चिकनाई खावे जिस्म भाग के बलिदान परमेश्रर के आगे चढ़ाये जाते हैं साई प्राणी अपने लोगों में से काटा जायगा॥ २६ । और २६ । चौर तुम किसी पक्षी का अथवा पशु का किसी भांति का लोह अपने सब स्थानों में मत खाइयो । २७। और जा प्राणी किसौ भांति का लोहू खावे सोई प्राणी अपने लोगों में से काटा जायगा। २८। फिर परमेश्वर मसा से कहके बाला॥ २६। कि इमराएल के संतानों से कह कि जो कोई अपने कुशन के बलिदान परमेश्रर के लिये चढ़ाने से अपने कुशल के बलिदान में से परमेश्वर के बागे मैं वेध लावे । ३० । वुह उस बलिदान को जो परमेपर के लिये जलाया जाता है और छानी की चिकनाई को अपने हाथों में लावे जिसने छानो के हिलाने के बलिदान के लिये परमेश्वर के भाग हिलाया जावे। ३१ । और याजक चिकनाई को बेटी पर जलावे परंतु छाती हारून को और उम के बटों को होगी। ३२ । और नुम कुशन की भट के वन्निदानों से दहिना कांधा याजक को हिलाने की भेंट के निये दौजिया। ३३ । हारून के बेटों में से जो कुशल के बलिदान का लोहू और चिकनाई चढ़ाता है सेा दहिमा कांधा अपने भाग के लिये लेवे॥ ३४ । क्योंकि कुणाल को भेटों के बखिदानों में से हिलाने की छाती और उठाने का कांधा मैं ने इमराएल के संतानों से लिया और हारून याजक र उम के बर को मनातन की विधि के