पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२१

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६ पर्च] को पुस्तक। ८। पर नूह ने परमेश्वर की दृष्टि में अनुग्रह पाया ॥ । की बंशावली यह है कि नूह अपने समय में धर्मी और सिद्ध पुरुष था और ईश्वर के नाथ साय चलता था॥ १० । और नूह से नीन बेटे सिम और हाम और याफत उत्पन्न हुए | ११ । और एथिवी ईश्वर के आगे बिगड़ गई थी और प्रविधी अंधेर से भरपूर हुई ॥ १२ । और ईश्वर ने पृथिवी पर दृष्टि किई और क्या देखता है कि वुह बिगड़ गई है क्योंकि सारे शरीर ने पृथिवी पर अपनी चाल को बिगाड़ दिया था॥ १३ । और ईश्वर ने नह से कहा कि नारे शरीर का अंत मेरे आगे आ पहुंचा है क्योंकि उन से एथियो अंधेर से भर गई है और देख मैं उन्हें एथिवी समेत नष्ट करूंगा। १४। त गोफर लकड़ी की अपने लिये एक नाव बना चौर उम नाब में कोठरियां और उस के बाहर भीतर राल लगा॥ १५। और उसे इस डौल को बना उस नाव की लंबाई तीन सो हाथ और चौड़ाई पचास हाथ और ऊंचाई, तीस हाथ की होवे ॥ १६ ॥ उस नाव में एक खिड़की बना और ऊपर ऊपर उसे हाथ भर में समाप्त कर और उस के अन्लंग में दार बना और उस में नीचे की और दूसरी और तीमरी अारी बना॥ १७। और देख कि सारे शरीर कर जिन में जीवन का श्वास है आकाश के तले से नाश करने को मैं अर्थात् मैं ही बाढ़ के पानी प्रथिवी पर लाता है और पृथिवी पर हर एक वस्तु नष्ट हो जायगी। १८ । परन्तु मैं तुझे अपनी वाचा स्थिर करूंगा तू नाब में जाना तू और तेरे बेटे और तेरी पत्नी और तेरे बेटो की पत्नियां तेरे माथ। १८ । और सारे शरीरों में से जीवता जंतु दो दो अपने साथ नाब में लेना जिसते वे तेरे साथ जीने रहें वे नर और नारी हो ॥ २०। पंकी में से उस के भांति भांति के और टोर में से उम के भांति भांति के और प्रथिवी के हर एक रंगवैये में से भांति भांति के हर एक में से दो दो तुझ पास आ जिसने जीते रहे॥ २१। और तू अपने लिये खाने को सब सामग्री अपने पास एकट्ठा कर बुह तुम्हारे और उन के लिये भोजन होगा से ईश्वर की सारी आज्ञा के ममान नह ने किया।