पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२०२

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१८२ यात्रा [४० पम्च ४०॥ ३६। मंच और उस के समस्त पान और भेंट की रोटी। ३७। पवित्र होअर उस के दोपक समेन और दीपक जो विधि से रक्खे जायें और टस के समस्त पान और जलाने का तेल ॥ ३८। और सोने की वेदी और अभिषेक का तेल और सुगंध धूप और तंबू के द्वार की घोट ॥ ३८ । पीतल की बेदी और उस की पीतल को झकरी और उम के बहंगर और उस के समस्त पान स्नान पात्र और उस कौ चौकी। आंगन को अट उस के खंभे उस के पाए और प्रांगन के द्वार की नोट उस की रस्सियां और खूटे और मंडली के तंबू के लिये तंबू की सेवा के समस्त पात्र ॥ ४१। पवित्र स्थान में सेवा के लिये सेवा के बस्त्र और हारून याजक के लिये पवित्र बस्त्र और उन के बेटो के वस्त्र कि याजक के पद में सेवा करें॥ ४२ । जैसा कि परमेम्बर ने मूसा को आज्ञा किई थी वैसे ही दूसराएल के संतानों ने सब काम किये ॥ ४३। और मूसा ने सब काम को देखा और देखो कि जैसा परमेश्वर ने उन्हें श्राज्ञा किई थी वैसाही उन्हों ने किया तब उस ने उन्हें आशीष दिई ४. चालीसवां पब्ब पार परमेश्वर मूसा से कहके बोला ॥ २॥ कि पहिले मास के पहिले दिन नंबू को जो मंडली का तंबू है खड़ा कर ॥ ३ । और उस में साक्षी को मंजूषा रख और मंजुषा पर धूंघट डाल ॥ ४। और मंच को भीतर ले जा और उस पर की वस्तु उस पर विधि से रख फिर दौअट भीतर ले जा और उस के दीपक बार ॥ ५ । और धूप के लिये सोने को बेदी को साक्षी को मंजूषा के अागे रख और तंबू के द्वार पर ओट रख ॥ ६ । और यज्ञवेदी को तंब के द्वार के आगे रख मंडली के तंबू के आगे। ७। फिर ग्नान पात्र मंडली के तंबू और बेदी के बीच में रख और उस में पानी डाला ८। फिर आंगन की चारों और खड़ा कर और ओट को आंगन के द्वार पर टांग॥ । फिर अभिषेक का तेन ले और नंबू को और सब जो उस में है अभिषेक कर और उसे पवित्र कर और उसे और उस के समस्त पात्र को और वुह पवित्र किया जायगा । १०॥ और बेदी को और उस के समस्त पात्र को अभिषेक कर और बेदी को पवित्र