पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१९४

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१८४ याबा एन के संतान शरण स्थान की सेवा के कार्य के लिय लाये थे पाई और वे हर बिहान उस के पास मन मनती भट लाते थे। ४। यहां ले कि मब विद्यामानों ने शरण स्थान के कार्य किये हर एक मनुष्य अपने अपने काम से जो उन्हों ने बनाया था आये। ५ । और मूसा को कहके बोले कि कार्य की सेवा से जा परमेश्वर ने आज्ञा कि ई है लेग अधिक लाते हैं। ६ । तब मूसा ने श्राज्ञा किई और समस्त छावनी में प्रचार कराया कि क्या पुरुष और क्या स्त्री अब कोई शरण स्थान को भेट के कार्य के लिये और न बनावे सो लोग लाने से रोके गये। ७। क्योंकि जो सामग्री उन के पास थी समस्त कार्य बनाने के लिये बहन और अधिक थी। ८। और तंबू के कार्यकारियों में से हर एक मे जो बुद्धिमान था बरे हुए सूती बस्त्र के नौले और बैंजनी और लाल चोटी के कार्य से करोखीम के साथ दस ओट बनाई। ६। हर ओर की लंबाई अठाइस हाथ और उसकी चौड़ाई चार हाथ सब शेट एक नाप की। १ । और पांच ओट को एक दूसरे में मिलाया और पांच और एक दूसरे में मिलाया ॥ ११ । और उस ने एक बोट के कोर पर अनवट से लेके जोड़ पर नीले तुकमे बनाये इसो रोनि से दूसरी शोर के अत्यंत अलंग में दूसरे के जोड़ पर बनाये । २२ । और उम ने एक चोट के अंचल में पचाम तुकमे बनायें और पचास तकमे दूसरी बोट के मिलाने के खूट में बनाये जिमते तुकमे एक दूसरे में जुट जाय ॥ १३ । और इन ने सेोने की पचास घडो बनाई और उन घण्डियों से छोट का जोड़ा जिसमें एक तंबू हो गया । और उस ने बकरी के रोम के म्यारह रेट बनाये जिसने तंबू के लिय ढपना हो ॥ १५ । एक वोट की लंबाई नीम हाथ और चौड़ाई चार हाथ ग्यार हो छोट एकही परिमाण की बनाई ॥ १६। और उम ने पांच बोट को अलग जाड़ा और वः शोट को अलग ॥ १७1 और उस में पचास लुक में एक ओट के खूट में जा अंत के खूट के जोड़ में है और पचास तुक्रमे दूसरी नोट के रखूट में बनाये ॥ १८। और उस ने तब को जोड़ने के लिये जिमत एक होजावे पीतल को पचास घण्डियां बनाई। १६ । और उस ने में के रंगे हुए लाल चमड़ी से और दखस के चमड़ां से नव के लिये ढोपन बनाया।