पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१८६

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याबा [३२ पये को निरङ्कुशता उन को लाज के लिये उन के शत्रुन के सन्मुख खाल दिई ॥ २६ । तब ममा छावनी के निकास पर खड़ा हुआ और कहा कि जो परमेश्वर की ओर है सो मेरे पास ग्राचे नव समस्त संतान लाबी के उम् पास एकटे हुए २७। और उस ने उन्हें कहा कि परमेश्वर इसराएल के ईश्वर ने यह कहा है कि हर मनुष्य अपना खग वांधे और एक फाटक से दुसरे फाटक लों कावनी के एक निकाम से दूसरे निकास ले और हर एक मनुष्य अपने भाई को और अपने संगो को और अपने परोमी को 'वात करे। २८। और मूसा ने जैमा लावो के संतानों को अाज्ञा कि ई थी उन्हों ने वैसाही किया सो उस दिन लोगों में से तीन सहस्र मनुष्य मारे पड़े ॥ २६ । और मूसा २९ । और मूसा ने कहा कि आज परमेश्वर के लिये अपने हाथ भरो हर एक मनुष्य अपने पुत्र और अपने भाई से और आज अपने ऊपर आशीष लाओ॥ ३० ! और दूसरे दिन सबेरे यों हुआ कि मूसा ने लोगों से कहा कि तुम ने महा पाप किया और अब मैं परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूं क्या जाने मैं तुम्हारे पाप के लिये प्रायश्चिन करूं। ३१ । और मूसा परमेश्वर की और फिर गया और कहा कि हाय इन लोगों ने महा पाप किया और अपने लिये सोने का देवता बनाया । ३२ । और अब यदि तू उन के पाप क्षमा करे नहीं तो मैं तेरी बिनती करता हूं कि मुझे अपनी उस पुस्तक से जे लिखी है मेट दे। ३३ । नव परमेश्वर ने भूसा से कहा कि जिस ने मेरा अपराध किया है मैं उसी को अपनी पुस्तक से मेट देऊंगा ॥ ३४ । और अब तू लोगों के साथ उस स्थान को जो मैं ने तुझे बताया है जा और देख कि मेरा दून तेरे आगे आगे चलेगा तथापि मैं अपने विचार के दिन में उनसे जन के अपराध का विचार करूंगा ॥ ३५ । लेब परमेश्वर ने बछड़ा बनाने के कारण जिसे हारून ने बनाश लोगों पर मरी भेजी। ३३ तेंतीसवां पच । लोग जिन्दन मिस देश से निकाल लाया उस देश को जा जिसके बिषय में