पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१६८

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यात्रा । पर उस ने अपना हाथ न रकवा और उन्हों ने ईश्वर को देखा और खाया पीया भौ १२। और परमेश्वर ने मूसा से कहा कि पहाड़ पर मुझ पास श्रा और वहां रह और मैं तो पन्यर की परियों में व्यवस्था और आज्ञा जो मैं ने लिखी है दूंगा जिसने तू उन्हें सिखाये ॥ १३। और मसा और उस का सेवक यहम् उठे और ईश्वर के पहाड़ के ऊपर गय ॥ १४। और उस ने प्राचीनों से कहा कि हमारे लिये यहां ठहरो जब लो तुम पाम हम फिर न अावे और देखा कि हारून और हर तुम्हारे माथ हैं यदि किसी को कुछ काम हो तो उन पास जाय ॥ १५ । तब मूसा पहाड़ के ऊपर गया और एक मेघ ने पहाड़ को टॉप लिया ॥ १६ । और परमेश्वर का विभव सौना के पहाड़ पर ठहरा और मेष उसे छः दिन लो ढांचे रहा और सातवें दिन उस ने मेघ के मध्य में से भूता बुलाया॥ १०। और परमेश्वर का विभव इसराएल की दृष्टि में पहाड़ के ऊपर धधकती हुई श्राम की नाई देख पड़ता था॥ १८॥ और मूमा मेघ के मध्य में चला गया और पहाड़ पर चढ़ गया और मूसा पहाड़ पर चालीस दिन रात रहा। २५ पच्चीसवां पर्ज। भर परमेश्वर ने मूसा से कहा॥ २। कि इसराएल के संतान से कह कि वे मेरे लिये भेट लेवं हर एक से जो अपनी इच्छा और अपने मन से मुझे देवे तुम मेरी भेट ले लीजिया। ३। और भेट जा तुम उन से लेओगे मो ये है साना रूपा और पीतल ॥ ४ । नौला और बैंजनी और लाल र मीना कपड़ा और बकरी के रोम ॥ ५ । और मेलों का रंगा हुअा सरल चमड़ा और नील वर्ण और शमशाद की लकड़ी॥ ६। और दीपक के लिये तेल और लगाने के तेल के लिये और धूप के लिये मुगंध द्रव्य ॥ ७। और सूर्य कांत मणि और पटु का और चपरास पर जड़ने के लिये मणि ॥ और वे मेरे लिये एक पवित्र स्थान बनावें और मैं उन के मध्य में वास करूंगा। । तंब और उस के समस्त पात्रों को जैसा मैं तुझे दिखाऊ वैसा ही बनाइयो । जी