पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१५७

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१४७ को पुस्तक। २६ । फिर मसा ने अपने ससुर को विदा किया और वुह अपने देश को चला गया। २६ उन्नीसवां पई । सराएल के संतान मिन की भूमि से बाहर होके तीसरे मास के उसी दिन सीना के बन में आये॥ २॥ यांकि वे रफोदीम मे से चलके सौना में आये और वन में डेरा किया और इसराएल ने पहाड़ के आगेतंब खड़ा किया। ३। तब मूसा ईश्वर पास चढ़ गया और परमेश्वर ने उसे पहाड़ पर से बुलाया और कहा कि तू यअकव के घराने को या कहिया और इमराएल के संतानों से या बोलियो ॥ ४ । कि तुम ने दखा कि मैं ने मिखियों से क्या किया और तम्हें गिव के डैम पर बैठा के अपने पास ले आया ।। ५। और अब यदि मेरे शब्द को निश्चय मानोगे और मेरी बाचा का पालन करोगे तो तुम ममस्त लोगां से विशेष धनिक होचोगे क्योकि सारी पृथिवी गेरी है। ६ और तुम मेरे लिये याजकमय राज्य और एक पवित्र जाति होगे ये बात तू इसराएल के संतान को कहियो । ७ ! तब मूसा आया और लोगों के प्राचीनों को बुलाया और उन के सन्मुख सारी बात जो परमेश्वर ने उसे कही थौं कह सुनाई॥ ८। और मब लोगों ने एक साथ उत्तर दे के कहा कि जा कुक परमेश्वर ने कहा है सो हम करेंगे और मसा ने लोगों का उत्तर परमेश्वर कने ले पहुंचाया ॥ । और परमेश्वर ने मसा से कहा देख में अंधियारे मे व में तुझ पास आता हूं कि जब मैं तुम्स से बात करूं लोग सुन चार सदा लों प्रतीति ने लोगों की बात परमेश्वर से कहीं॥ १.। और परमेश्वर ने ममा से कहा कि लोगां पास जा और आज कान में उन्हें पवित्र कर और उम के कपड़े धुलवा ॥ ११। और तीसरे दिन सिड़ रहें कि परमेश्वर नोसरे दिन सारे लोगों की दृष्टि में सोना के पहाड़ पर उतरेगा। १२। और न लोगों के लिये चारों ओर बाड़ा बांधिया और कहिग कि आप से चौकम रहे। पहाड़ पर न चढ़ा और उम के को न छ जो कोई पहाड़ को छयेगा सो निश्चय प्राण से मारा जावगा। कर और