पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१५६

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यात्रा ८पर्च सव लेग और में मनुष्य बैठा और लोग ममा के आगे बिहान से सांस तो खड़े रहे। १४ । तब मूसा के मसुर ने सब कुछ जो उम ने लोगों से किया देख के कहा कि यह तू लोगां से क्या करता है तू क्या आप अकेला बैठा है और बिहान से सांझ लो तेरे आगे खड़ हैं। १५ । तब ममा ने अपने ससुर से कहा कि यह इस लिये है कि लोग ईश्वर को ढूंढ़ने के लिये मुझ पास आते हैं। १६ । जब उन में कक विवाद होता है तब ये मेरे पास आने हैं में और उस के मंगी के मध्य में न्याय करता हूं और मैं उन्हें ईश्वर की विधि और उम की व्यवस्था से चिता देना हं॥ १७॥ तब मूमा के ससुर ने उससे कहा कि तू अच्छा काम नहीं करता। १८। तू निश्चय क्षौण हो जायगा और यह मंडली भी जा तेरे साथ है क्योंकि यह काम तुझ पर निपट भारी है यह तुभा से अकेले न बन पड़ेगा। १६ । अब मेरा कहा मान मैं तुझे सब देना हं और ईश्वर तेरे साथ रहे तू उन लोगों के पास ईश्वर के आगे हो और ईश्वर के पास उन का वचन लाया कर॥ २० । और नू व्यर हार और व्यवस्था की बात उन्हें मिखा और वुह मार्ग जिस पर चलना और बुह काम जिसे करना उन्हें उचित है उन्हें बना। २१ । से। तू समस्त लोगों में से योग्य मनुश्य चुन ले जा ईश्वर से डरते हैं और सन्यबादी हां और लोभी न होव और उन्हें सहसों और सैकड़ों और पचास पचास और दम इस पर अज्ञाकारी कर। २२ । कि हर समय में उन लोगां का न्याय कर और ऐसा होगा कि वे हर एक बड़ा कार्य तुझ पास लांच पर हर एक छोटे कार्य का विचार आप कर या तेरे लिये सहज हो जायगा और वे बोझ उठाने में तेरे साथी रहेंगे ॥ २३ । यदि न यह काम करे और ईअर तुझे श्राज्ञा करे तो तू सहि सकेगा और ये लोग भी अपने अपने स्थान पर कुशल में जायेंगे॥ २४ । सा मूसा ने अपने ससुर का कहा मुना और जो उस ने कहा था उस ने मव किया और मूमा ने समस्त इमरालियों में से योग्य ननुश्य चुने और उन्हें लोगों का प्रधान किया महस्रों का प्रधान सेकड़ों का प्रधान पचास का प्रधान और दस दस का प्रधान ॥ २५ । वे हर समय में लोगों का न्याय करते थे कठिन कार्य ममा पास लाते थे। परंतु हर एक छोटी बात आप हो चुका लेते थे।