पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१५४

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२.४१ यात्रा [१७ पर्व तू हमें मिस्र से क्यों निकाल लाया कि हमें और हमारे लड़कों को और हमारे पशुम को पियाम से मारे। ४। और मूसा ने पुकार के परमेश्वर से कहा कि मैं इन लोगों से क्या करूं वे मुझ पर पत्थरबाह करने का सिड हैं ५ । और परमेश्वर ने मूसा से कहा कि लोग के आगे जा और दूसराएल के संतान के माचोनों को अपने साथ ले और अपनी छड़ी जिस्म तू ने समुद्र को मारा था अपने हाथ में ले और जा॥ ६। देख मैं वहां हारेब के पहाड़ पर नेरे आगे खड़ा हूंगा तू उस पहाड़ को मारेगा और उससे जल निकलेगा कि लोग पीय से मूसा ने इमराएल के प्राचीनों की दृष्टि में यही किया। ७। और इसराएल के मनानों के विवाद के कारण और इस कारण कि उन्हों ने परमेश्वर की परीक्षा करके कहा था कि परमेश्वर हमारे मध्य में है कि नहीं उस ने उस स्थान का नाम मस्सः और मरीबः रकवा । । तब अमालौक चढ़ आये और रफीदीम में इसराएल से लड़े ॥ ६। तब मूसा ने वहस्य से कहा कि हमारे लिए लोग चुन और निकल कर अमालीक से लड़ कल में ईश्वर की कुड़ी अपने हाथ में लेके पहाड़ की चोटी पर खड़ा हंगा। १० । सो जैसा मूसा ने उसे कहा था यहसूअ ने वैसा किया और अमालीक से खडा भूमा और हारून और हर पहाड़ की चोटी पर चढ़े ॥ ११ । और यो हुआ कि जब मूसा अपना हाथ उठाता था तब दूसराएल के संतान जय पाते थे और जब हाथ लटका देता था तव अमालीक जय पाते थे । १२ । परंतु नसा के हाथ भारी हो रहे थे तब उन्हों ने एक पत्थर लेके उस के नीचे रक्खा वुह उस पर बैठा और हारून और हर एक एक और और टूमरा दूसरी और उस के हाथों को संभाले रहे और उस के हाथ सूर्य के अस्त लो स्थिर रहे॥ १३ । और यहूसूत्र ने अमालीक और उस की सेना को खङ्ग की धार से जीत लिया ॥ १४ । तव परमेश्वर ने मूसा से कहा कि सारण के लिये पुस्तक में इसे लिख रख और यहूसूत्र के कान में कह दे कि मैं अमालोक का नाम और चिन्ह वर्ग के नीचे से मिटा देऊंगा। ने यज्ञवेदी बनाई और उस का नाम वह रकबा कि पर- मेर मेरो धूजा ॥ १६ । क्योंकि उस ने कहा कि परमेश्वर ने किरिया खाके कहा है कि में अमालीक के साथ पीढ़ी से पीढ़ी लो लड़ता रहूंगा। और भूसा