पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१४०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

यात्रा [११ पब और ११ ग्यारहवां पन्न। पर परमेश्वर ने मूसा से कहा कि मैं फिरऊन पर और मिनियों पर एक मरी और लाऊंगा उस के पीछे वह तम्हें यहां से आने देगा और जब बुह तुम्हें जाने दे तो निश्चय तुम्हें सब्द या धकिावेगा। २। सो अब लेगी के कानों काम कह कि हर एक पुरुष अपने परोनी से और हर एक स्ती अपनी परोसिन से रुपे के और सोने के गहने मांग लेबे ॥ ३। और परमेश्वर ने उन लोगों को मिसियों की दृधि में प्रतिष्ठा दिई और भूसा भी मिस्र की भूमि में फिरजन के सेवकों की और लोगों को दृष्टि में महान था। ४। और मूसा ने कहा कि परमेश्वर या कहता है कि मैं आधी रात को निकल के मित्र के बीचों- बीच जाऊंगा॥ ५। और मित्र के देश में सारे पहिलोंठे फिरऊन के पहिलैठि से लेके जा सिंहासन पर बैठा है लप्त सहेली के पहिलैठे लो जो चक्की के पीछे है और सारे पशु के पहिलाठे मर जायगे॥ और मित्र के समस्त देश में ऐसा बड़ा रोमा पीटना होगा जैसा कि कभी न हुआ था न कभी फिर होगा। ७। परन्तु सारे दूसराएल के मंतान पर एक ककर भी अपनी जीभ न हिलावेगा न तो मनुष्य पर और न पशु पर जिमने नुम जानो कि परमेश्वर क्योंकर मिसियों में और दूसराएलियां में विभाग करता है। और यह तेरे समस्त सेवक मुझ पास आवेगे और मुझे प्रणाम करके कहगे कि तू निकल जा और सब लोग जो तेरे पश्चगामी हैं जात्र और उस के पीछे मैं निकल जागा फिर बुह फिरजन के पास से निपट रिसियाके निकल गया। ९ । और परमेश्वर ने मूमा से कहा कि जिसने मेरे आश्चर्य मिस के देश में बढ़ जायं फिरजन तुम्हारी न सुनेगा॥ १० । और मूसा और हारून ने ये मब आश्चर्य फिरजन के आगे दिखाये और परमेश्वर ने फिरान के मन को कठोर कर दिया और उस ने अपने देश से दूसराएल के संतान को जाने न दिया।