पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१३

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करो। को पुस्तक । अच्छा है ॥ २६ । तब ईश्वर ने कहा कि हम मनुष्य को अपने खरूप में अपने समान बनावें और वे समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों और दोर और सारी एथिवी पर और एथिवी पर के हर एक रेंगवैये जंतु पर प्रधान होवें ॥ २७। तब ईश्वर ने मनुष्य को अपने खरूप में उत्पन्न किया उस ने उसे ईम्पर के स्वरूप में उत्पन्न किया उस ने उन्हें नर और नारी बनाया॥ २८। और ईश्वर ने उन्हें आशीष दिया और ईश्वर ने उन्हें कहा कि फलवान हाओ और बढ़ो और पृथिवी में भर जाओ और उसे बश में करो और समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों और एथिवी के हर एक रंगवैये जीवधारी पर प्रभुता २८ और ईभर ने कहा लो मैं ने हर एक बीजधारी सागपात का जो सारी पृथिवी पर है और हर एक पेड़ को जिस में फल है जो बीज उप- जावना है तुम्हें दिया यह तुम्हारे खाने के लिये होगा॥ ३० । और पृथिवी के हर एक पशु को और आकाश के हर एक पक्षी को और प्रथिवी के हर एक रंगवैये जीवधारी को हर एक प्रकार की हरियाली भी खाने को दिई और ऐसा हुआ॥ ३१ । फिर परमेश्वर ने हर एक बस्तु पर जिसे उम् ने बनाया था दृष्टि किई और देखा कि बहुत अच्छी है और सांझ र बिहान छठवां दिन हुआ। २ दूसरा पर्व । सर्ग और एथिबी और उन की मारी सेना बन गई.। २। और ईश्वर ने अपने कार्य को जो वुह करता था सातवें दिन समाप्त किया और उस ने सातवें दिन में अपने सारे कार्य से जो उस ने किया था विश्राम किया। ३। और ईभार ने सातवे दिन को श्राशीष दिई और उसे पवित्र ठहराया इस कारण कि उसी में उस ने अपने सारे कार्य से जो ईश्वर ने उत्पन्न किया और बनाया विश्राम किया । और प्रथिबी की उत्पति है जब वे उत्पन्न हुये जिम दिन परमेश्वर ईश्वर ने खगौर एथिवी को बनाया॥ ५। और खेत का कोई माग पान अब लो प्रथिवी पर न था और खेन की कोई हरियाली अब लो न जगी थी क्योंकि परमेश्वर ईश्वर ने एथिवी पर मेंह न बर्माया था, ये ४। यह वर्ग