पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१२४

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यात्रा [४ पी दिखाई दिया कि मैं ने निश्चय तुम्हारी सुधि लिई और जो कुछ तुम पर मिस्त्र में हुआ सो देखा। १७। और मैं ने कहा है कि मैं नम्हें मिस्त्रियों के दुखों से निकालके कनानियों और हित्तियों और अभूरियो और फरजियों और हबियों और यवसियों के देश में जहां दूध और मध बहता है लाऊंगा॥ १८। और वे तेरा शब्द मानेगे और तू और इसराएलियों के प्राचीन मिस्र के राजा पास अायोगे और उसे कहोगे कि परमेश्वर बरानियों के ईश्वर ने हम से भेंट किई और अब हम नेरी बिनती करते हैं कि हमें बन में तीन दिन के मार्ग जाने दे जिसने हम परमेम्बर अपने ईश्वर के लिये बलिदान करें। १८ । और में निश्चय जानता हूं कि मिस्र का राजा तुम्हें जाने न देगा हां बड़े बल से भी नहीं। २० । और मैं अपना हाथ बढ़ाऊंगा और अपने समस्त धाश्चों से जो मैं उन के बीच दिखाऊंगा मिसियों को मारूंगा उस के पीछे बुह तुम्हें जाने देगा ॥ २१ । और मैं उन लोगों को मिसियों की दृष्टि में अनुग्रह ढूंगा और यों होगा कि जब तुम जाओगे तो कुछ न जाओगे। २२ । परन्त हर एक स्त्री अपनी परोसिन से और उस से जो उस के घर में रहती है रूपे के गहने और सोने के गहने और वस्त्र मांग लेगी और तुम अपने पुत्रों और अपनी पत्रियों को पहिनाओगे और मिस्रियों का नटोगे। ४ चौथा पई। -ब मसा ने उत्तर दिया और कहा कि देख वे मेरी मतीति न करेंगे तबारा शब्द माना क्योंकि वे कहा कि परमेश्वर तुझ पर २। तब परमेश्वर ने उसे कहा कि तेरे हाथ में क्या है बुह बोला कि छडी। ३। फिर उस ने कहा कि उसे भूमि पर डाल द उस ने भूमि पर डाल दिया और वुह सर्प बन गई और मूसा उस के आगे से भागा॥ ४ । तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि अपना हाथ बढ़ा और उस की पूंछ पकड़ ले तब उस ने हाथ बढ़ाया और उसे पकड़ लिया वुह उस के हाथ में छड़ी हो गई। ५ । जिसन वे विश्वास कर कि परमेश्वर उन के पितरों का ईश्वर अबिरहाम का ईआर दूजहाक का ईश्वर और यअकूब प्रगट न उपा।