पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१०५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

। 1 तुम इसे भी की पुस्तक हमारे साथ हो तो हम जायंगे क्योंकि जब लो हमारा कुटका भाई, हमारे साथ न हो हम उस जन का मुंह न देखने पावगे॥ २७। और आप के सेवक मेरे पिता ने हमें कहा कि तुम जानते हो कि मेरी पत्नी मुझ से दो बेटे जनी ॥ २८ । और एक मुझ से अलग हुआ और मैं ने कहा निश्चय वुह फाड़ा गया और मैं ने उसे तब से न देखा ॥ २९ । अब जो मुझ से अलग करते है। और इस पर कुछ विपत्ति पड़े तो तुम मेरे पके बालों को शक से समाधि में उतारोगे॥ ३० । अब इस लिये जब मैं आप का सेवक अपने पिता पास पहुंचू और धुह तरुण हमारे साथ न हो और इस कारण से कि उस का जौष इस तरुण के जीव से बंधा है। ३१। तो अंत को यही होगा कि बुह यह देख कर कि तरुण नहीं है मरही जायगा और आप के सेवक अपने पिता के पके वालों कोशाक से समाधि में उतारेंगे॥ ३२। क्योंकि आप के सेबक ने अपने पिना पास इस तरुण का बिचवई हे।के कहा कि यदि मैं इसे आप पास न पहुचाऊं तो मैं सर्वदा ले अपने पिता का अपराधी हंगा। ३३। इस लिये अब मेरो बिनतो सुनिये कि बाप का सेवक तरुण की संतो अपने प्रभु का दास होके रहे और तरुण को उस के भाइयों के संग जाने दीजिये ॥ ३४ । क्योंकि जो तरुण मेरे माथ न हेरचे में अपने पिता पाम कैसे जाऊ ऐसा न होवे कि जो विपत्ति मेरे पिता पर पड़े मैं उसे देखू । ४५ पैनालीसा पर्छ । व यमुफ उन सब के आगे जो उस पास खड़े थे अपने को रोक न सका तधारचलाया कि हर एक को नुक पास से बाहर करो से जब यसफ सुना॥ ने अपने को अपने भाइयों पर प्रगट किया तब कोई उस के संग 'न था। २। और वुह चिन्नाके रोया और मिस्त्रियों और फिरकन के घराने ने ३। और यमुफ ने अपने भाइयों को कहा कि मैं यमुफ हं क्या मेरा पिता अब लेां जीता है तथ उम के भाई उसे उत्तर न दे मके क्यांकि वे टम के आगे घबरा गये। ४। और यसफ ने अपने भाइयां से कहा कि मेरे पाम् अाइये वे पाम आये बुह बोला मैं तुम्हारा भाई