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"मैं अभी तक ईमानदार नहीं हूँ बानू।"

"जाने दीजिए भाईजान! अच्छा मुझे घर की खैराफियत सुनाइए–सुनने को बेचैन हूँ। अरुणा बहन कैसी हैं?"

"चलकर देख लो, और दिलीप को भी।"

बानू को ऐसा प्रतीत हुआ मानो उसके हृदय की धड़कन रुक गई हो। उसने हाथ से सीने को दबा लिया। 'दिलीप'–उसने कहना चाहा पर कंठस्वर नहीं फूटा, केवल होंठों में ज़रा-सी फड़कन होकर रह गई। वह पलक मारना भी भूल गई। एकटक डाक्टर को देखने लगी। ज़िन्दगी में पहली बार आज वह अपने बेटे का नाम सुन रही थी। डाक्टर भी क्षण-भर को विचलित हुए। फिर उन्होंने कहा, "एम. ए. करके एल. एल. बी. भी कर लिया है, लेकिन अजब खब्ती लड़का है।"

"खब्ती?"

उसी भाँति होंठों में ही बानू ने कहा, लेकिन डाक्टर ने सुन लिया। "तब क्या? आर्थोडाक्स हिन्दू। आधा दिन पूजा-पाठ और धर्म-ग्रन्थ पढ़ने में और बाकी संघ के झगड़े-झंझटों में बिताता है।"

"तन्दुरुस्त है?"

"खूब है।" डाक्टर ज़रा हँसे, "देखोगी नहीं?"

"नहीं।" बानू चुप हो गई। डाक्टर अवाक् होकर बानू का मुँह देखने लगे, जो इस समय वर्षोन्मुख, भरे हुए बादलों के समान हो रहा था। डाक्टर भी कुछ कह न सके। बहुत देर सन्नाटा रहा। डाक्टर को ऐसा प्रतीत हुआ, जैसे बानू के होंठ उसके हृदयगत ज्वर को भीतर ही दबा सकने में असमर्थ हो फड़ककर रह गए। बहुत देर बाद बानू ने कहा, "क्या उसे कुछ मालूम हैं?"

"नहीं, कुछ भी नहीं। और हम लोग उलझन में हैं।"

"उलझन?"

"हाँ, शादी की। बहुत गहरी दिक्कतें हैं। लोगों की नज में वह हमारा ही लड़का है, लेकिन हम अगर सही बात ज़ाहिर न करके किसी घराने में उसकी शादी कर देते हैं, तो यह एक भारी धोखाधड़ी होगी। तुम तो जानती ही हो कि हम लोगों में जात-बिरादरी की कितनी बंदिशें हैं।"

"क्या ऐसा कोई घर नहीं मिल सकता, जो इन बातों की परवाह न करे?"

"ऐसा ही कुछ हुआ था। मेरे एक दोस्त थे, बड़े भारी बैरिस्टर। लड़की उनकी एम. ए. सुन्दरी, हम लोगों को बिलकुल पसन्द। पर उसने नहीं माना, इन्कार कर दिया। वे लोग अपना-सा मुँह लेकर चले गए। अब दूसरे लड़कों के रिश्ते भी रुके हुए हैं, समझ नहीं रहा हूँ क्या करूँ।"

"बेहतर है आप उससे सब कुछ साफ-साफ कह दें। सिर्फ उसकी माँ कौन है यह न बताएँ। या कुछ किस्सा घड़ दें, और उसे उसके हाल पर छोड़ दें। उसकी कुछ जायदाद बची होगी। इधर मैं भी दे सकती हूँ, लेकिन यह बात उसे मालूम न होने पाए।"

"जायदाद, रुपया तो सब हमने छुआ नहीं है, बढ़ा ही है। हमने तो अपने ही लड़के की तरह उसे पाला है। न उसे न मेरे और बच्चों को यह सानो-गुमान है कि वे सब आपस में सगे