पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/६१

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द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र दौलतपुर, रायबरेली १७-३-३३ प्रणाम राष्ट्रीय हिन्दी-मन्दिर और शारदा पुस्तकमाला का क्या हाल है ? मुद्दतों से हिसाब तक मेरी पुस्तकों का मुझे नहीं भेजा गया। आप मुझे दे सकते हों तो शरणदान दीजिये। कुछ मुझे मिलना हो तो भिजवाइए। मैं तो यह भी नहीं जानता कि किससे इस विषय में पूछ पांछ करूं। रसज्ञरंजन की मांग की चिट्ठियां कभी कभी मेरे पास आती हैं। आज्ञा मिले तो उसे अन्यत्र छपवा दूं। आशा है, आप अच्छी तरह हैं। मैं तो बहुत ही क्षीणप्राण हो रहा हूँ। पंडित कामताप्रसाद जी गुरु कृपापात्र गढ़ा फाटक, जबलपुर म०प्र०द्विवेदी दौलतपुर, रायबरेली २३-५-३० नमस्कार हिन्दुस्तानी अकादमी १००० रु० देकर मुझसे ३ लेक्चर हिन्दी विषय में दिलाना चाहती है। मैं यह काम नहीं कर सकता। मैंने आपका और बाबू श्याम- सुन्दरदास का नाम दे दिया है। सूचनार्थ निवेदन है। पंडित कामताप्रसाद गुरू आपका गढ़ा-फाटक, जबलपुर सिटी म०प्र० द्विवेदी (८) दौलतपुर, रायबरेली नमस्कार चिट्ठी मिली । उत्तर यह है कि कोई १२, १४ वर्ष से सेठ निहालसिंह से मेरा पत्रव्यवहार नहीं। जब था तब सिर्फ सरस्वती के लेखक की हैसियत से ।