पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/४९

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३२ द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र (४४) जुही, कानपुर ११-४-१० प्रणाम कृपापत्र मिला। इसी बृहस्पति या शुक्रवार को सुबह हम प्रयाग आवेंगे। बारह बजे तक प्रेस में ठहरेंगे। दर्शन दीजिएगा। बड़े बाबू को सूचना दे दीजिएगा। भवदीय महावीर प्र० द्विवेदी मिर्जापुर २०-४-१० प्रणाम राजा साहब का शरीरान्त वृत्तान्त सुनकर बड़ा रंज हुआ। हिंदी के वे बड़े भारी हितचिन्तक और सहायक थे। हमारे ऊपर तो उनकी विशेष रूप से कृपा थी। उनके स्थान की पूर्ति होना असंभव-सा जान पड़ता है। भवदीय म०प्र०द्विवेदी (४६) जुही, कानपुर प्रणाम आशा है आपकी तबीयत अब अच्छी होगी। आप निस्संदेह, निर्भय और निश्चल भाव से काम किए जाइए। बड़े बाबू के हृदय की महत्ता, उनकी सुजनता, उनकी न्यायशीलता, आश्रितजनों पर उनकी कृपा पर विश्वास रखिए। सब काम बनता ही चला जाएगा। बिगड़ने का डर नहीं। भवदीय महावीरप्रसाद द्विवेदी