पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/४८

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द्विवेदी जी के पत्र 'जनसीदन' जी के नाम . ३१ यह मौका बहुत दिन में हाथ आया है पत्रोत्तर के आ० पोस्ट मास्टर, मिरजापुर के पते से भेजिएगा। भवदीय महावीरप्रसाद द्विवेदी (४२) जुही, कानपुर ८-१-१० प्रणाम . २ जनवरी का आपका कृपापत्र मिला। आपकी संस्कृत कविता बड़ी ही मनो- हारिणी है। आपकी सारटीफिकेट हमने इंडियन प्रेस को भेज दी है। आप फौरन प्रयाग चले जाइए। हमने प्रेस के मालिक को लिख दिया है और खुद सब बातें कह भी आए हैं। पहुँचते ही आपको जगह मिल जाएगी। मिर्जापुर से हम आपको प्रयाग जाने के लिए लिख चुके हैं। भवदीय म०प्र० द्विवेदी (४३) जुही, कानपुर १३-२-१० प्रणाम कृपाकार्ड मिला। 'राजषि' को छपने दीजिए। देखने की कोई वैसी जरूरत नहीं। मैं बहुत ही थोड़ा बंगला जानता है। स्वास्थ्य की वर्तमान अवस्था में कापी देखने में तकलीफ भी होगी। अतः क्षमा कीजिए। भवदीय महावीरप्रसाद द्विवेदी १. मूल पत्र में यह अंश अंग्रेजी में है। --सं०