पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/४७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३०
द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र


इतना अधिक है कि और नहीं रह सकते। परसों कानपुर लौट जायंगे। एक महीने तक कुछ दिन के लिए अल्मोड़ा जाने का विचार है। आपका लेख शीघ्र निकालने की चेष्टा करेंगे।

विनीत
 
महावीरप्रसाद द्विवेदी
 


(४१)
इंडियन प्रेस, प्रयाग
 
१८–१२–१९०९
 
प्रणाम
 

बहुत दिनों से आपके कुशल समाचार नहीं मिले। आशा है आप प्रसन्न और स्वस्थ हैं। हमारा स्वास्थ्य अच्छा नहीं। उन्निद्र रोग पीछा नहीं छोड़ता। जनवरी से कुछ समय के लिए ‘सरस्वती’ से छुट्टी लेने का विचार है। डाक्टरों की राय है कि हमारे लिए पूर्ण रीति से विश्राम लेना बहुत जरूरी है।

कहिए इस समय आप कहां हैं―क्या करते हैं। जीविका का क्या प्रबंध है? पौराणिक वृत्ति से जी तो नहीं ऊबा?

एक बार आपने कहा था कि हम कहीं किसी रजवाड़े में आपके लिए प्रबंध कर दें। रजवाड़ों की नौकरी कैसी होती है, इसका तो आपको अनुभव हो ही चुका है। हमारी राय में यदि आप कुछ काम करना चाहें तो इंडियन प्रेस में करें। प्रबंध हम कर देंगे। आप इधर उधर की दौड़धूप से बचेंगे। आराम से एक जगह रहेंगे। काम सिर्फ १० बजे से ५ बजे तक करना पड़ेगा। काम भी ऐसा जो आप पसंद करेंगे। अर्थात् सरस्वती-संबंधी कुछ काम तथा हिंदी और संस्कृत में प्रेस का और भी कुछ काम जो मिले। इसके सिवा यदि आप घर पर भी कुछ काम करना पसंद करेंगे तो यथासंभव उसका भी प्रबंध हो जायगा। उसका पुरस्कार आपको अलग मिलेगा। प्रेस के मालिक बड़े ही उदाराशय, सज्जन, दयालु और उत्साही हैं। आपको किसी तरह का कष्ट न होगा। कहिए कितने वेतन पर आप यहां आना पसंद करेंगे। हमारी सलाह है कि आप जरूर यहां आवें। आप यहां रहकर खुश होंगे।