पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/३५

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द्विवेदीयुग के साहित्यकारों कुछ पत्रं . कीजिए, हम यूँ नहीं करेंगे। आपके बिना हमारा एक दिन भी सुख से नहीं कट सकेगा। हमारा जो सद्भाव आपकी तरफ है उसमें कभी जरा भी न्यूनता नहीं हो सकती। इसका आप विश्वास रखिए। "बसन्ति हि प्रेम्णि गुणा न वस्तूनि" भवदीय महावीरप्रसाद द्विवेदी ( २२ ) कानपुर ८-४-०६ प्रियवर आपका कृपापत्र आया। अत्यानंद हुआ। जब तक आप श्रीनगर में हैं तबतक वैसा लेख लिखने की हम सलाह नहीं दे सकते, क्योंकि जो कुछ आप लिखेंगे उसका सम्बन्ध राजा साहब की रियासत से लोग लगावेंगे। और जिसके आश्रय में आदमी रहें उसके प्रतिकूल कुछ लिखना या उसकी.भूलें आम में जाहिर करना शुभचिन्तक सेवक का धर्म नहीं। जहाँ हम अभी तक नौकर थे वहाँ की सैकड़ों बातें हमारी नजर में ऐसी आई कि लोगों के हजार कहने पर भी हमने उनको प्रकाशित करना उचित न समझा। यद्यपि उनके प्रकाशन से बहुत आदमियों को लाभ पहुंचता। __ परन्तु यदि राजा साहब को कोई इन्कार न हो तो आप लिख सकते हैं। छपाने के पहले लेख आप दिखा लीजिएगा। और तो रियासतों की दशा छिपी नहीं, सब पर जाहिर है, राजा प्रजा दोनों पर। श्रीमदीय महावीरप्रसाद द्विवेदी