पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/१९६

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१८२ द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र (८२) ओम् नायकनगला २३-११-१० श्रीयुत माननीय द्विवेदी जी महाराज प्रणाम कानपुर से घर जाते समय आपने एक कार्ड भेजा था कि श्री पूज्या माताजी की बीमारी के कारण आप वहाँ जा रहे हैं, फिर कोई पत्र नहीं आया, आशा है, माताजी अब अच्छी होंगी और आप कानपुर आ गये होंगे। पिताजी की बीमारी की खबर पाकर मैं १३-११ को यहाँ आया था, अब वह अच्छे हैं। ३०-११ तक म० वि० पहुंचूंगा। 'सरस्वती' का चार्ज आपने ले लिया? श्रीयुत शुक्ल जी की आज्ञा से 'बिहारी का विरहवर्णन' और इस विषय में उसकी अन्य कवियों से तुलना लेख की सामग्री मैंने इकट्ठी की थी, परंतु मुझे इसका बड़ा ही खेद है कि यथासमय वह लेख तैयार करके श्री शुक्ल जी की सेवा में न भेज सका, अब म०वि० में पहुंच कर उसे लिखूगा। आज्ञा हो तो आपकी सेवा में भेज दं? कालिदास पर भी अवश्य लिखने की चेष्टा करूंगा। उत्तर ज्वा० पु० भेजिए। कृपापात्र पद्मसिंह शर्मा (८३) महाविद्यालय ज्वालापुर १४-१-११ श्रीयुत मान्यवर पंडित जी महाराज प्रणाम पैंसली स्पेशल आज्ञापत्र आज मिला, जिस सिमय पत्र मिला, उस समय मैं म०वि० की अंतरंग मीटिंग में जा रहा था, इसलिए तुरंत-तत्काल उत्तर न लिख सका, क्षमा। साफ साफ लिखते मुझे दुख और भय है कि मेरे भाग्य की तरह आप भी कहीं मुझसे रुष्ट न हो जायं, मैं इस समय वहाँ या कहीं नहीं जा सकता। अभी उस दिन पश्चात्ताप के साथ में बनारसवालों को इन्कार लिख चुका हूँ, बनारस का वास और कोश का काम मुझे सब तरह पसंद था, मन के