पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/१२८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पं० पसिंह शर्मा जी के पत्र द्विवेदी जी के नाम ११३ आपके पत्र के विषय में कुछ पता नहीं चला कि क्या हुआ। २९-८ को कमिटी का अधिवेशन था, शायद उस दिन पत्र पेश हुआ हो उस दिन वे मेरे दोनों परिचित सभ्य शरीक नहीं हुए थे । इस कारण कुछ मालूम न हो सका? कृपापात्र पसिंह नायकनगला २५-९-०६ श्रीमत्सु प्रणामाः बहुत दिनों से आपका कुशल पत्र नहीं मिला, चिन्ता है, हम बीमारी और तीमारदारी में घिरे रहे इसलिए पत्र न भेज सके। इस दिगन्धव्यापी फसली बुखार की लपेट में कहीं आप भी तो नहीं आ गये। अगस्त की 'सरस्वती' में यह सय्यद साहब कौन है ? अच्छी कविता की है। गिरिधर जी की वर्षा खूब है। समालोचक लक्षण द्रव्यमाहात्म्य और विकास सिद्धान्त अच्छे हैं। रीवांनरेश की जीवनी में आपका नोट अच्छे मौके पर है। मालूम है अगस्त की 'हिंदी ग्रन्थमाला' अबतक क्यों नहीं निकली? वहां पत्र भेजा था उत्तर नहीं मिला। कुशल पत्र दीजिए। कृपाकांक्षी पद्मसिंह नायकनगला श्रीमत्सु सबहुमानं प्रणामाः २९-९ का कृपाकार्ड मिला, आनन्दित किया। सितम्बर की 'सरस्वती' खूब है। यह वंगमहिला कौन है ? इनकी अनुवादित आख्यायिकाएं प्राय: अच्छी होती हैं, पर कहीं कहीं एकदेशी मुहावरे रह जाते हैं, जैसे चिरौरी, अकचका कर इत्यादि, इन्हें ठीक कर दिया कीजिए।