पृष्ठ पक्ति १५६ कृपा प्रेम ... आवश्यक शुद्धि-पत्र प्रस्तुत ग्रन्थ पढने से पूर्व कृपया इन स्थानो को सुधार ले। अशुद्र शुद्ध ३६ १६ बरस सोरह को भयो। तर बग्स मोरह को भयो । पाछ वा इनको व्याह कियो । पाछे चनिया के... वा बनिया के ७ तातें रेंडा को श्रीगुसांईजी तातें रेंडा को श्रीगुसांईजी २ विनंती कियो, जो - महाराज! विनती कियो जो- महागज ! ५ सो गौरोचनी वल्लभी की सो गोरोचनी 'वल्लभा' की ११५ ९ जा भाव सों बाको अनुसरत जा भाव मोवाको अनुमगत १३९ ११ वार्ता करते होंई वार्ता करत होंई १४५ १७ ये सात्विक भक्त हैं ये राजस भक्त हैं ६ भक्ति मुक्ति देत सबन कों भक्ति मुक्ति देत सवन को निज- जन पै कृपा प्रेम १६५ २१ घटतीन करते घटती न करते १८१ १० दस को हुतो द्वादस को हुनो १८७ २६ सभुझत है के नाही । समुझत है के नाही । १९० १४ के चरनाविंद पर के चरनारविंद पर १९१ १७ यह प्रभाव अब आप ही की है। यह प्रभाव सब आप ही को है। १९३ १८ सोंक रन लागे। सों करन लागे। १९५ २४ २१७ १६ ये तामास भक्त हैं। ये तामस भक्त हैं। २९२ ५२ मोहनदास कों मोहनदास सों ३०१ १५ ये सात्विक भक्त हैं। ये तामस भक्त हैं। ३०९ २० तव स्वामिनीनी क्रोध करि के तत्र स्वामिनी क्रोध कारे के ३५२ २३ ये सीताबाई सात्विक भक्त हैं। ये सीताबाई तामस भक्त हैं । ३६८ ६ ये बनिया सात्विक भक्त हैं ये बनिया राजस भक्त हैं। ३९६ २३ ननु ते दैव निहताः......। नूनं देवेन विहताः हित्वा श्रृण्वन्त्य सदगाथाः पुरीपमिव . हस्व, दीर्घ, एवं मात्राओं की त्रुटियों को पाठक स्वयं सुधार लें। तुम चढिरे के तुम चहि के
पृष्ठ:दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता.djvu/९
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