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दो बहनें

साथ ताल मिलाकर चलने की कोशिश करती है। स्टोव के पास कुछ खाना हमेशा गर्म रखना पड़ता है, क्योंकि कब अचानक पति कह उठेंगे, "चला! लौटने में देर होगी"। मोटर गाड़ी में सोडा-वाटर और एक छोटे टीन के बक्से में खाने की सूखी चीज़ें रखी रहती हैं। एक यूडीकोलोन की शीशी विशेष दृष्टिगोचर करके ही रखी जाती है--कदाचित् सिर में दर्द हो आए। गाड़ी लौटने पर परीक्षा करके देखती है तो कोई भी वस्तु व्यवहार में लाई गई नहीं होती। उदास हो जाती साफ़ कपड़ा सोने के घर में प्रतिदिन प्रकाश्य रूप में सजाकर रखा रहता है, फिर भी कम-से-कम सप्ताह में चार दिन शशांक को धोती बदलने का अवकाश भी नहीं मिलता। घर-गृहस्थी का परामर्श खूब संक्षेप में उपस्थित करना होता है, ज़रूरी टेलिग्राम की ठोकरमार भाषा के ढंग पर, वह भी चलते-चलते, पीछे से पुकारते यह कहते-कहते "अजी सुनते हो, एक ज़रा सी बात है।" उसके व्यवसाय में शर्मिला का जो थोड़ा सा सम्बन्ध था वह भी कट गया, उसका रुपया सूद-मूर समेत लौट आया। सूद भी दिया है माप-जोख करके हिसाब से, बदस्तूर रसीद लेकर। शर्मिला कहती, "बाप रे, प्रेम में

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