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दो बहनें

विश्व-ब्रह्मांड बड़ा भारी है। उसके राह-घाट की सर्वे करने जायगा कौन? और इतनी बड़ी दूरबीन ही किस बाज़ार में मिलेगी?"

"बड़ी दूरबीन की तुम्हें ज़रूरत नहीं होगी। हमारे रिश्ते के मथुरा भैया कलकत्ते में बड़े कन्ट्राक्टर हैं। उनके साथ साझे में कारबार करने से दिन कट जाएँगे।"

"साझा बज़न में बराबरी का नहीं होगा। इधर के बटखरे में कमी पड़ेगी। लँगड़ी शराकत से पद-मर्यादा भी नहीं रहेगी।"

"इस ओर भी किसी प्रकार की कमी नहीं पड़ेगी। तुम जानते हो, पिताजी मेरे नाम से जो रुपया बैंक में रख गए थे वह आज सूद से बढ़ गया है। साझीदार के निकट तुम्हें छोटा नहीं होना पड़ेगा।"

"ऐसा भी कहीं होता है! यह रुपया तो तुम्हारा है"--कहकर शशांक उठ पड़ा। बाहर कोई इन्तेज़ार कर रहा था।

शर्मिला ने पति का कपड़ा खींचकर बैठा लिया, बोली, "मैं भी तो तुम्हारी ही हूँ।"

इसके बाद बोली "अपनी जेब से फ़ाउन्टेन पेन निकालो। यह रहा काग़ज़। इस्तीफ़ा लिख दो।

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