नायिका का उत्तर-मैं लाज करने से रही, अर्थात् तेरे विचारों- वाली लाज न करूँगी । प्रयोजन यह है कि सच्ची लाज तो मुझमें पूर्णतया है ही, तेरी समझी हुई थोथी लोज को क्यों पकड़ ?
सखी-वचन-अरी ! लोग-बाग हँसेंगे।
नायिको का उत्तर --मैं पंचों से बाहर हूँ। प्रयोजन यह है कि साधारण जन-समुदाय शुद्ध प्रेम के उच्च आदर्श से पूर्णतया अनभिज्ञ है। ऐसी मूर्ख मंडली में रहना किसी उच्च प्रेमी को शोभा नहीं देता।
बोरयो बंस बिरदछ मैं बौरी भई बरजत,
मेरे बार-बार बीर कोई पास पैठौ जनि;
सिगरी सयानी तुम बिगरी अकेली हौं ही,
गोहन मैं छाँडो मोसों भौंहन अमैठौ जनि ।
कुलटा कलंकिनी हौं कायर कुमति कूर,
काहू के न काम की निकाम याते ऐंठौ जनि ;
देव तहाँ बैठियत जहाँ बुद्धि बढ़े, हौं तो
बैठी हौं बिकल, कोई मोहिं मिलि बैठौ जनि।।१५६॥
विरहिणी नायिका है । गोहन = रास्तों ।
स्याम सरूप घटा ज्यों अनूपम नीलपटा तन राधे के झूमै, राधे के अंग के रंग रँग्यो पट बीजुरी ज्यों घन सो तन-भूमै ;
- बिरद = नेकनामी = कीर्ति।
+ शरीर की भूमि, अर्थात् शरीर में ।