पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/९९३

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lyt हस्-ठीक है मगर मैं आपसे उनकी मुलाकात करा सकता हू, आशा है कि वे मेरी बात मान लेंगे और आपको असल हाल भी बता देंगे। कल वह जमानिया में आने वाले है।

  • - मगर मुझसे और उससे तो किसी तरह की मुलाकात नहीं है, वह मुझ पर क्यों मरोसा करेगा?

हर-कोई चिन्ता नहीं मैं आपकी उनकी मुलाकात करा दूंगा। हरदीन की इस बात ने मुझे और भी ताज्जुब में डाल दिया मैं सोचने लगा कि इससे और गदाधरसिह (भूतनाथ) से ऐसी गहरी जान पहिचान क्यों कर हो गई और वह इस घर पर क्यों भरोसा करता है? भरतसिह ने अपना किस्सा यहाँ तक बयान किया था कि उनके काम में विघ्न पड़ गया अर्थात् उसी समय एक चोबदार ने आकर इत्तिला दी कि भूतनाथ हाजिर है । इस खबर को सुनते ही सब कोई खुश हो गये और भरतसिह ने भी कहा अब मेरे किस्से में विशेष आनन्द आयेगा। महाराज ने भूतनाथ को हाजिर करने की आज्ञा दी और भूतनाथ ने कमरे के अन्दर पहुच कर सभों को सलाम किया। तेज-(भूतनाथ से ) कहो भूतनाथ कुशल तो है ? आज कई दिनों पर तुम्हारी सूरत दिखाई दी। भूत-जी हॉईश्वर की कृपा से सब कुशल हे जितने दिन की छुटटी लेकर गया था उसके पहिले ही हाजिर हो गया तेज-सो तो ठीक है मगर अपने सपूत लडके का तो कुछ हाल कहो कैसी निपटी? भूत-निपटी क्या आपकी आज्ञा पालन की नानक को मैने किसी तरह की तकलीफ नहीं दी मगर सजा बहुत ही मजेदार और चटपटी दे दी गई। देवी (हॅसते हुए) सो क्या ? भूत-मैने उससे एक ऐसी दिल्लगी की कि वह भी खुश हो गया होगा। अगर बिल्कुल जानवर न होगा तो अब हम लोगों की तरफ कभी मुह भी न करेगा। बात बिल्कुल मामूली थी जब वह यहा आकर मेरी फिक्र में डूबा तो घर की हिफाजत का बन्दोवस्त करने बाद कुछ शागिर्दो को साथ लेकर मैं उसके मकान पर पहुच उसकी मा को उड़ा लाया मगर उसकी जगह अपने एक शागिर्द का रामदेई बना कर छोड आया। यहा उसे शान्ता बना कर अपने खेमे में जो इसी काम के लिए खड़ा किया गया था एक लौंडी के साथ सुला दिया और खुद तमाशा देखने लगा। आखिर नानक उसी को शान्ता समझ के उठा ले गया और खुशी खुशी अपनी नकली मा के सामने पहुच कर डींग हाकने लगा बल्कि उसकी आज्ञानुसार नकली शान्ता को खम्भे के साथ बाघ कर जूते से पूजा करने लगा। जब खूब दुर्गति कर चुका तब नकली रामदेई उसके सामने एक पुर्जा फेंक कर घर से बाहर निकल गई। उस पुर्जे के पढने से जब उसे मालूम हुआ कि मैंने जो कुछ किया अपनी ही मा के साथ किया तब वह बहुत ही शर्मिन्दा हुआ। उस समय उन दोनों को जैसी कैफियत हुई मै क्या बयान क आप लाग खुद सोच समझ लीजिये। भूतनाथ की बात सुन कर सब लोग हॅस पडे। महाराज ने उसे अपने पास बुला कर वैटाया और कहा मूतनाथ जरा एक दफे तुम इस किस्से को फिर क्यान कर जाओ मगर जरा ख्लासे तौर पर कहो। भूतनाथ ने इस हाल को विस्तार के साथ ऐसे ढग पर दोहराया कि हँसते हँसते सभों का दम फूलने लगा। इसके बाद जब भूतनाय को मालूम हुआ कि भरतसिह अपना किस्सा बयान कर रहे हैं तब उसने भरतसिह की तरफ देखा और कहा 'मुझे भी तो आपके किस्से से कुछ सम्बन्ध है। भरत-बेशक, और वही हाल में इस समय बयान कर रहा था। भूतनाथ (गोपालसिइ से ) क्षमा कीजियेगा, मैने आपसे उस समय जब कृष्णाजिन्न बने हुए थे यह झूठ बयान किया था कि राजा गोपालसिह के छूटन के बाद मैंने उन कागजों का पता लगाया है जो इस समय मेरे ही साथ दुश्मनी कर रहे हैं इत्यादि। असल में वे कागज मेरे पास उसी जमाने में मौजूद थे, जब जमानिया में मुझसे और भरतसिह से मुलाकात हुई थी। आप यह हाल इनकी जुवानी सुन चुके होंगे। भरत-हा भूतनाथ. इस समय मैं वही हाल बयान कर रहा हू अभी कह नहीं चुका । भूत-खैर तो अभी श्रीगणेश है। अच्छा आप बयान कीजिए। भरतसिह ने फिर इस तरह बयान किया भरत-दूसरे दिन आधी रात के समय जब मैं गहरी नींद में सोया हुआ था हरदीन ने आकर मुद्दो जगा 30 1 213481 'लीजिए मैं गदाधरसिंहजी को ले आया हूँ, उठिए और इनसे मुलाकात कीजिए ये बडे ही लायक और मा tit:}} है। मैखुशी खुशी उठ बैठा और बडी नर्मी के साथ भूतनाय से मिला। इसके बाद मुझरो और मू[•k[ ( 51104 इस तरह गगी- - 'न्ता सन्तति भाग २३