पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/८३१

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QYT इन्द्रजीत-(वात का ढग दूसरी तरफ बदलने की नीयत से कमलिनी की तरफ देखकर) हाँ यह तो बताओं की नानक और तुम लोगों से मुलाकात हुई थी या नहीं? कनलिनी-जी नहीं, उस पर तो आपका पडा रज होगा! इन्द्रजीत-हा इसलिये कि उसने अपनी चाल-चलनको बहुत बिगाड रक्खा है। (कमला से ) तुमने यह तो सुना ही होगा कि नानक भूतनाथ का लडका है और भूतनाय तुम्हारा पिता है । कमला-जी हो म सुन चुकी हू, मगर वे (लम्बी सॉस लेकर) आजकल अपनी भूलों के सबब आप लोगों के मुजरिम बन रहे है। इन्द्रजीत-चिन्ता मत करो, पिछले जमाने में अगर भूतनाथ स किसी तरह का कसूर हो गया तो क्या हुआ, आज कल वह हम लोगों का काम बडी खूनी और नेकनीयती के साथ कर रहा है और तुम विश्वास रक्खो कि उसका सब कसूर माफ किया जायगा। कमला-यदि आप की कृपा हो तो सब अच्छा ही होगा, (कमलिनी की तरफ इशारा करके) इन्होंने भी मुझे ऐसी ही आशा दिलाई है। लक्ष्मीदेवी-इनका तो वह ऐयार ही ठहरा, इन्हीं के दिए हुए तिलिस्मी खञ्जर की बदौलत उसने बडे-बड़ेकाम किए और कर रहा है। हां खूब याद आया (इन्द्रजीतसिह से ) मैं आपसे एक बात पूछूगी। इन्दजीत-पूछिये। लक्ष्मीदेवी-तालाब वाले तिलिस्मी मकान से थोड़ी दूर पर जगल में एक खूब सूरत नहर हे और वहीं पर किसी योगिराज की समाधि है इन्द्रजीत-हा-हा, मै उस स्थान का हाल जानता हू। यद्यपि मैं वहा कभी गया नहीं, मगर रिक्तग्रन्थ की बदौलत मुझे वहा का हाल बखूबी मालूम हो गया है. (कमलिनी की तरफ देखकर ) इन्हें भी तो मालूम ही होगा क्योंकि वह रिक्तगुन्थ बहुत दिनों तक इनके पास था। कम-जी हा उसी रिक्तग्रन्थ की बदौलत मुझ उसका कुछ हाल मालूम हुआ था और उसी जगह से वह तिलिस्मी खजर और नेजा मैंने निकाला था *मगर मैं उस रिक्तग्रन्थ की लिखावट अच्छी तरह समझ नहीं सकती थी इसलिए जतका ठीक-ठीक और पूरा हाल में न जान सकी। लक्ष्मी-इसी सयब से मेरी बातों का ठीक जवाब न दे सकी तब मैंने सोचा कि आपसे मुलाकात होने पर पूछूगी कि क्या वहाँ भी कोई तिलिस्म है? इन्द-जी नहीं, वहाँ कोई तिलिस्म नहीं है। जिस दार्शनिक महात्मा की वह समाधि है उन्होंने यह तिलिस्म तथा रोहतासगढ का तहयाना तालाव वाला तिलिस्मी खण्डहर जिसमें में मुर्दा बनाकर पहुचाया गया था अथवा जिसमें किशोरी, कामिनी और भैरोसिह वगैरह फस गये थे बनवाया है और चुनारगढ वाला तिलिस्म उनके गुरु का बनवाया हुआ है यहाँ के राजा जिन्होंने यह तिलिस्म बनवाया था उन्हीं के शिष्य थे। उन महात्मा ने जीते जी समाधि ल ली थी और उन्होंने अपना योगाश्रम भी उसी स्थान में बनवाया था। कमलिनी ने तिलिस्मी खजर उसी योगाश्रम से निकाला होगा क्योंकि वहाँ भी बडी-बडी अनूठी चीजें हैं। कम-जी हा और उसी जगह मैंने इस बात की कसम भी खाई थी कि भूतनाथ और नानक को अपना भाई समझूगी अगर ये लोग हम लोगों के साथ दगान करेंगे। यद्यपि यह आश्चर्य की बात है कि अभी तक भूतनाथ के भेदों का सही-सही पता नहीं लगता फिर भी चाहे जो हो यह तो मैं जरूर कहूगी कि भूतनाथ ने हम लोगों के साथ बडी नेकिया ? इन्द्र-इसमें किसी को क्या शक हो सकता है। भूतनाथ वास्तव में बड़ा भारी ऐयार है। हॉ यह तो बताओ कि नानक यहाँ कैसे आ पहुचा कम-भला में इस बात को क्या जानू ? आनन्द-(मुस्कराते हुए ) अपनी रामभोली को खोजता हुआ आया होगा। 4 देखिये छठवा भाग तीसरा बयान | चन्द्रकान्ता सन्तति भाग १९ ८२३