पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/७६०

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देना जरूरी समझंगी। लीला ने अपनी लम्बी चौडी बातों में माधवी का खूब उलझाया यहा तक कि माधवी अपने साथ भीमसेन और कुवेरसिह तथा कई सिपाहियों को ले कर मायारानी के पास गई और इज्जत के साथ अपने डेरे पर ले गई। जल भगवा कर हाथ मुंह धुलवाया और फिर बातचीत करने लगी। माधवी-(मायारानी से आपको वीरेन्द्रसिह की कैद से छूट जाने पर में मुबारकबाद दर्ती हूं यद्यपि आपके लिए यह कोई बड़ी बात न थी। माया-बेशक यह कोई बड़ी बात न थी इस काम को तो अकेली मेरी सखी या ऐयारा लीला ही न कर दिखाया। इस समय आपसे मिल कर मैं बहुत खुश हुई और इसमें अब शक करन की कोई जगह न रही कि आप पुन गया की रानी और मै जमानिया की मालिक बन जाऊगी। दुनिया में एक का काम दूसरे से हुआ ही करता है और जब हम आप एक दिल हो जायगे तो वह कौन सा काम जिस नहीं कर सकते मुझे आपके केद होने की भी खबर लगी थी और मुझे इस बात का बहुत रज था कि आपको मेरी छोटी बहिन कमलिनी न कैदखान की सूरत दिखाई थी। माधवी- इधर तो यह सुनने में आया है कि आपसे और कमलिनी से कोई पता नहीं है और लक्ष्मीदेवी भी प्रकट हो गई है तथा उसे राजा वीरेन्द्रसिह चुनार ले गय है। नाया-(मुस्कुरा कर ) यशक एसा ही है, मगर जिस जभान काम जिक्र कर रही है उस जमाने में वह मरी ही बहिन कहलाती थी, और लक्ष्मीदेवी को राजा वीरेन्दसिह चुनाए नहीं ले गये है वह तो किशोरी,कामिनी,कमलिनी लाडिली और कमला ॐ सहित किसी दूसरी ही जगह छिपाई गई है मगर इसमें भी कोई सन्दह नहीं है कि कल शाम का गोपालसिह उन सभी को जमानिया की तरफ जायेंगे और हम लोग उन्हें गोमालसिह के सहित रास्ते ही में गिरफ्तार कर लेंगे। माधवी-(ताज्जुब से) हा क्या कल में दुष्टा किशोरों की नापाक सूरत दय सकूगी ' उस पर मुझ यडा रज है और कमलिनी ने ना मुझ केद ही किया था। माया-बशक कल किशारी और कमलिनी इत्यादितुम्हारे कब्ज में होंगी और गोपालसिह भी तुम्हार काबू में होगा जो वीरन्दसिह और उनके लउकों की बदौलत तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन हो रहा है । माधवी--नि सदेह वह मग और तुम्हारा सबस व दुश्मन है तो क्या उसकी गिरफ्तारी का इन्तजाम हा चुका है ? माया-हा चोदह आना इन्तजाम हा चुका ओर जो दो आना बाकी है रगे वट भी हो जायगा । माधवी-क्या बन्दोवस्त हुआ है और किस समय त्या किस तरह वे लोग गिरफ्तार किय जायगे ? माधवी-(इधर-उधर देख कर बहुत सी बात ऐसी है जो में केवल तुम्ही से कहूगी क्योंकि कोई दूसरा उसके सुनने का अधिकारी नहीं है। माधवी-बहुत अच्छा यह काई वडी बात नहीं है। इतना कह कर माधवी ने भीमसेन और कुबरसिंह की तरफ देया क्योंकि माधवी भायारानी और लीला के सिवाय कवल य ही दो आदमी वहामौजूद थे। भीमसेन ने कहा हम दोनों यहा से हट जाते है तुम लोग येधडक बातें करों मगर (मायारानी से ) मरे एक सवाल का जवाब पहिले मिलना चाहिए। माया-वह क्या? भीम-आप अभी कह चुकी है कि कल किशोरी कामिनी और लक्ष्मीदेवी वगैरह गिरफ्तार हो जायगी मगर मैने सुना था कि राजा वीरेन्द्रसिह के लश्कर में पहुंच कर मनोरमा ने किसारी,कामिनी और कमला को जान से मार डाला अब इस समय कोई और ही बात सुनने में आ रही है। माधवी हा यह सवाल मैं भी करने वाली थी लेकिन बातों का सिलसिला दूसरी तरफ चला गया और में पूछना भूल - माया-हा यह बात अच्छी तरह सुनने में आई थी और मुझे विश्वास भी हो गया था कि वास्तव में ऐसा ही हुआ है। मगर आज यह बात खुद गोपालसिह की लिखावट से खुल गई कि वास्तव में ये तीनों मारी नहीं गई परन्तु मुझे यह मालूम नहीं है कि इस विषय में किस तरह की चालाकी खेली गयी या मनोरमा ने जिन्हें मारा वह कौन थीं। भीम-तो निश्चय है कि वे तीनों मारी नहीं गई? माया-दशक वे तीनों जीती है। (गोपालसिह वाली चीटी दिखा कर) देखो एक ही सबूत में मैं तुम्हारी दिलजमई कर देती हू, इसे पढो और माधवी रानी को सुनाआ। (माधवी से) देखो बहिन तुम इस बात का ख्याल न करना कि मैं देवकीनन्दन खत्री समग्र ७५२