पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/७२९

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के (चौथे दरजे के) अन्दर आये थे, तब इस मकान के अन्दर का हाल कुछ जान नहीं सके थे मगर अब तो इत्तिफाक ने खुद ही इन दोनों को उस मकान में पहुचा दिया इसलिए बडे उत्साह से दोनों भाई उस जगह का तमाशा दखने के लिए तैयार हो गये। इस मकान की छत पर एक रास्ता नीच उतर जाने के लिए था उसी राह से दोनों भाई नीचे वाली मजिल में उतर कर एक छोटे से कमरे में पहुचे जहाँ की छत जमीन और चारो तरफ की दीवारों में कलई किये हुए दलदार शीशे बड़ी कारीगरी के जड़े हुए थे। अगर एक आदमी भी उस कमरे में जाकर खडा हो तो अपनी हजारों सूरतें *देख कर घबड़ा जाय। सिवाय इस बात के उस कमरे में और कुछ भी न था और न यही मालूम होता था कि यहा से किसी और जगह जाने के लिए कोई रास्ता है। उस कमरे की अवस्था देख कर इन्दजीतसिह हसे और आनन्दसिह की तरफ देख कर बोले- इन्द्रजीत-इसमें कोई सन्देह नहीं कि इस कमरे में इन शीशों की बदौलत एक प्रकार की दिल्लगी है मगर आश्चर्य इस बात का होता है कि तिलिस्म बनाने वालों ने यह फजूल कार्रवाई क्यों की है । इन शीशों के लगाने से कोई फायदा या नतीजा तो मालूम नहीं होता । आनन्द-मैं भी यही सोच रहा हू मगर विश्वास नहीं होता कि तिलिस्म बनानेवालों ने इसे व्यर्थ ही बनाया होगा कोई न कोई बात इसमें जरूर होगी। इस मकान में इसके सिवाय अभी कोई दूसरी अनूठी बाल दिखाई नहीं दी अगर यहाँ कुछ है तो केवल यही कमरा है अस्तु इस कमरे को फजूल समझना इस इमारत भर को फजूल समझना होगा मगर ऐसा हो नहीं सकता। देखिये इसी मकान से उस लोहे वाले खम्भे का सम्बन्ध है जिसकी बदौलत हम (रुककर) सुनिए सुनिए. यह आवाज कैसी और कहा से आ रही है? बात करते-करते आनन्दसिह रुक गये और ताज्जुब भरी निगाहों से अपने भाई की तरफ देखने लगे क्योंकि उन्हें दा आदमियों के जो-जोर से बातचीत करने की आवाज सुनाई देने लगी। वह आवाज यह थी --- एक-तो क्या दोनों कुमार उस कुए से निकल कर यहा आ जायगे । दूसरा-हा जरूर आ जायगे। उस कूए में जो लोहे का खम्भा गया हुआ है उसमें एक खटोली बंधी है उस खटोली पर बैठ कर एक कल घुमाते हुए दोनों आदमी यहा आ जायगे। पहिला-तव तो बड़ी मुश्किल होगी, हमलोगों को यह जगह छोड देनी पडेगी। दूसरा-हम लोग इस जगह को क्यों छोडने लगे? जिसके भरोसे पर हम लोग यहा बैठे है क्या वह दोनों राजकुमारों से कमजोर हैं ? खैर उसे जाने दो पहिले तो हमी लोग उन्हें तग करने के लिए बहुत है। पहिला-इसमें तो कोई शक नहीं कि हम लोग उनकी ताकत और जवामर्दी को हवा खिला सकते हैं मगर एक काम जरूर करना चाहिए। दूसरा-वह क्या ? पहिला-इस कमरे का वह दर्वाजा खोल देना चाहिए जिसमें भयानक अजगर रहता है जब दोनों उसे खुला देख उसके अन्दर जायेगे तो निसन्देह वह अजगर उन दोनों को निगल जायेगा। दूसरा-और बाकी के दर्वाज मजबूती के साथ बन्द कर देना चाहिए जिसमें वे और किसी तरफ न जा सकें। पहिला-येशक इसके अतिरिक्त एक काम और भी करना चाहिए जिसमें वे दोनों उस दर्वाजे के अन्दर जरूर जाय अर्थात उन दोनों लडकियों को भी उस अजगर वाली कोठरी में हाथ-पैर बाँध कर पहुचा देना चाहिए जिन पर दोनों कुमार आशिक हैं। दूसरा-यह तुमने बहुत अच्छी बात कही। जब वह अजगर उन लडकियों को निगलना चाहेगा तो वे जरूर चिल्लायेंगी उस समय आवाज पहिचानने पर वे दोनों अपने को किसी तरह रोक न सकेंगे और उस दर्वाजे के अन्दर जाकर अजगर की खुराक बनेंगे। पहिला-यह भी अच्छी बात कही। अच्छा उन दोनों को पकड लाओ और हाथ-पैर बाधकर उस कोठरी में डाल दो अगर इस कार्रवाई से काम न चलेगा तो दूसरी कार्रवाई की जायेगी मगर उन्हें इस मकान के बाहर न जाने देंगे!

  • यदि दो बडे शीशे आमने-सामने रखकर देखिये तो शीशों में दो चार ही नहीं बल्कि हजारों शीशे एक दूसरे के

अन्दर दिखाई देंगे। चन्द्रकान्ता सन्तति भाग १६ ७२१