पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/६६२

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में सचकमक निकाल कर सुलगाने के बाद आनन्द के साथ गाजा मलने लगा इधर नानक उठकर मनोरमा के पास ना बैठा। 1 मानक लो कहो अब क्या कहती हो । मनोरमा-यह तो तुम जानते ही हो कि मेरे पास बड़ी दौलत है। नानक हा सो मैं सूब जानता हू कि तुम्हार पात करोड़ों रुपये की जमा मौजूद है। मनोरमा- और यह भी जानते हो कि तुम्हारी प्यारी रामभोली भी मर ही कब्जे में है। नानक-(चौक कर)नहीं सा तो में नहीं जानता !क्या वास्तव में रामभोली भी तुम्हारे ही कजे में है ? हाय यद्यपि वह गूगी और बहरी औरत है मगर में उसे दिल से प्यार करता है। यदि वह मुझे मिल जाय तो मैं अपने को बड़ा ही भाग्यवान समझू मनोरमा-हाँ वह मेरे ही कब्जे में है और तुम्हें मिल सकती है। मैं अपनी तमाम दौलत भी तुम्हें देने को तैयार हू और बलभदसिह तथा इन्दिरा का पता भी बता सकती है यदि इन सब कामों के बदले में तुम एक उपकार मेरे साथ करो! नानक-(खुश होकर ) वह क्या? मनोरमा-तुम मरे साथ शादी कर लो क्योंकि मैं तुम्हें जी जान से प्यार करती हूँ और तुम पर मरती हूँ नानक यद्यपि तुम्हारी उम्र भरे बराबर है मगर मैं तुम्हें अभी तक नई-नवेली ही समझता हू और तुम्हें प्यार भी करता हू क्योंकि तुम खुबसूरत हो लेकिन तुम्हारे साथ शादी में केस कर सकता है, यह बात मेरा बाप कब मजूर करेगा । मनोरमा-इस बात से अगर तुम्हारा याप रज हो तो पडा ही बेवकूफ है । बलमद्रसिह के मिलने से उसकी जान बचती है और इन्दिरा के मिलने से वह इन्द्रदेव का प्रेम-पात्र बन कर आनन्द के साथ अपनी जिन्दगी बितायेगा। हारे अमीर होन से भी उसको फायदा ही पहुचेगा। इसके अतिरिक्त तुम्हारी राममोली तुम्हें मिलगी और मैं तुम्हारी ईकर जिन्दगी भर तुम्हारी सेवा करुगी। तुम खूब जानते हो कि मायारानी के फेर मे पड़े रहने के कारण अभी तक मेरी शादीन्ही नानक-(मुस्कुरा कर ) मगर दो चार प्रेमियों से प्रम जकार कर धुकी हो । मनोरमा-हाँ इस बात सभे इनकार नहीं कर सकती मगर क्या तुम इसी से हिचकते हो? बडे यवकूफ हो इस बात स भला कौन बचा है क्या तुम्हारी अनोखी स्त्री ही जो आज कल तुम्हारे सिर चढी हुई है । तुम इस बारे मे कसम खा सकत हो क्या तुम दुनिया भर के भेप जानते हो और अन्तर्यामी हौ । ये सब बातें तुम्हारे जैसे खुशदिल आदमियों के सावन के लायक नहीं हा इतना में प्रतिज्ञापूर्वक कह सकती है कि इस काम से तुम्हारा बाप कभी नाखुश न होगा। ऊरा ध्यान देकर देखा तो सही, कि तुम्हार बाप ने इस जिदगी में कैस कैसे काम किए है। उसका मुँह नहीं कि तुम्हे कुछ कह सका और फिर दुनिया में मेरा तुम्हारा साथ और करोडो रूपये की जमा क्या यह मामूली बात है ।हमसे तुमसे बढ़कर भाग्यवान कौन दिखाई दे सकता है । हाँ इस बात की भी मैं कसम खाती हूँ कि तुम्हारी आज-कल वाली स्त्री और रामभाली स राच्या प्रेम करेगी और चाहे ये दोनों मुझस क्तिना ही लड़ें मगर मैं उनकी यातिर ही करूंगी। मनारमा की मीठी-मीठी और दिल लुभा लेने वाली बातों ने नानक को ऐसा बकाबू कर दिया कि वह स्वर्ग सुख का अनुभव करने लगा। थोडी देर तक चुप रहर्न के बाद उसने कहा मगर इस बात का विश्वास कैसे हा कि जितनी बात तुम कह गई हा उसे अवश्य पूरा करागी । इसके जवाब में मनोरमा ने हजारों कसमें खाई और मानक के मन में आपनी बात का विश्वास पैदा कर दिया। इसके बाद उसनेअपना हाथ-पैर खोल देने के लिए नानक से कहा नानक ने उसका हाथ-पैर खोल दिया और मनोरमा ने अपनी उगली से वह जहरीली अगूठी जिसको निकाल लेना भूतनाथ भूल गया था उतार कर नानक की उगली में पहिरा देने के धाद मनक का मुह चूम कर कहा इसी समय से मैंने तुम्हें अपना पति मान लिया। अब तुम मेरे घर चलो बलभद्रसिह और इन्दिरा को लेकर अपने बाप के पास भज दो मेरे घरवार के मालिक बनो और इसके बाद जो कुछ मुझे कहो मै करने का तैयार हूं। अब इससे बढकर सतोष दिलान वाली बात मैं क्या कह सकती हूँ। इना कहकर मनारमा नै नानक क गल में हाथ डाल दिया और पुन उसका मुह चूम कर कहा 'प्यारे मै तुम्हारी हो भुकी अब तुम जो चाहो, करो। अहा स्त्री भी दुनिया में क्या चीज है 1 बड़े-बड़े होशियारों-चालाको एयारों, अमीरों,पहलवानों और यहादुरों को वपकूफ बनाकर मटियामेट कर देन की शक्ति जितनी स्त्री में है उत किसी में नहीं। इस दुनिया में यह वडा ही भाग्यवान हे जिर के गले में दुष्टा और धूर्त स्त्री की फाती नहीं लगी। दखिए दुर्दैव के मारे कम्बख्त नानक ने क्या मुह की खाई है और धूता मारमा न कैसा उसका मुह काला किया है । मजा तो यह है कि स्त्री-रत्न पाने के साथ ही दौलत भी पाने की खुशी देवकीनन्दन खत्री समग्र